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कोलकाता/नई दिल्लीः कोलकाता पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर कथित सांप्रदायिक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में 22 वर्षीय लॉ छात्रा और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पानोली की गिरफ्तारी ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। गिरफ्तारी के विरोध में आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और भाजपा सहयोगी पवन कल्याण ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को घेरा और कहा कि धर्मनिरपेक्षता एकतरफा नहीं, बल्कि दोतरफा होनी चाहिए।
शर्मिष्ठा पानोली को शनिवार को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बनाए गए एक वीडियो में अपमानजनक और सांप्रदायिक टिप्पणियां की थी। उन्होंने वीडियो में ऑपरेशन सिंदूर पर बॉलीवुड के कुछ अभिनेताओं की चुप्पी पर सवाल खड़े किए थे।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
पूरा विवाद 14 मई को तब शुरू हुआ जब एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने एक वीडियो साझा किया जो कथित रूप से शर्मिष्ठा द्वारा पोस्ट किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उस वीडियो में इस्लाम का अपमान किया गया है और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई है। वारिस पठान ने अपने पोस्ट में गृह मंत्री को टैग कर कार्रवाई की मांग की।
15 मई को शर्मिष्ठा ने अपने एक्स अकाउंट पर माफी जारी करते हुए लिखा, "मैं बिना किसी शर्त के माफी मांगती हूं। जो कुछ भी पोस्ट किया गया, वह मेरी निजी भावनाएं थीं। मेरा किसी को आहत करने का कोई इरादा नहीं था। अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हों, तो मैं उसके लिए खेद प्रकट करती हूं। मैं आप सभी से सहयोग और समझ की अपेक्षा रखती हूं। आगे से मैं अपने सार्वजनिक बयानों को लेकर अधिक सावधानी बरतूंगी। कृपया मेरी माफी स्वीकार करें।"
पवन कल्याण का सवाल: क्या यह न्याय है?
जन सेना प्रमुख पवन कल्याण ने एक्स पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शर्मिष्ठा ने कुछ बात कही जो कुछ लोगों को दुखदायी लगी। उन्होंने अपनी गलती मानी, वीडियो हटाया और माफी भी मांगी। पश्चिम बंगाल पुलिस ने फौरन कार्रवाई की। लेकिन जब तृणमूल के सांसद सनातन धर्म का अपमान करते हैं, उसे 'गंदा धर्म' कहते हैं, तब उस समय कहाँ है गिरफ्तारी, कहाँ है माफी?"
उन्होंने ममता बनर्जी के बयान का वीडियो साझा करते हुए कहा कि ईशनिंदा की निंदा हर हाल में होनी चाहिए। धर्मनिरपेक्षता कुछ लोगों के लिए ढाल और दूसरों के लिए तलवार नहीं है। यह दो-तरफ़ा रास्ता होना चाहिए। पश्चिम बंगाल पुलिस, पूरा देश देख रहा है। सभी के लिए न्यायपूर्ण तरीके से काम करें।
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने क्या कहा?
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुभेंदु अधिकारी ने भी पवन कल्याण की बातों का समर्थन करते हुए पूछा, “जब रामनवमी और हनुमान जयंती की शोभायात्राओं पर पथराव होता है, जब हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ा जाता है, तब कोलकाता पुलिस की तत्परता कहां चली जाती है?”
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी पर कोलकाता पुलिस ने क्या कहा?
कोलकाता पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर कहा, “शर्मिष्ठा पानोली की गिरफ्तारी को लेकर कुछ सोशल मीडिया पोस्ट भ्रामक और तथ्यहीन हैं। सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। उन्हें कई बार नोटिस भेजे गए लेकिन वह हर बार अनुपस्थित रहीं। इसके बाद सक्षम अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया और गुरुग्राम से कानूनी प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर कोर्ट में पेश किया गया।”
पुलिस ने अपील की है कि लोग असत्यापित और अटकलों पर आधारित जानकारी को न फैलाएं।
उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा बंगाल में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए 'गंदा धर्म' जैसी राजनीति कर रही है, जो असली हिंदू धर्म की भावना के खिलाफ है।”
13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजी गईं शर्मिष्ठा
कोलकाता में दर्ज एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता की उन धाराओं का हवाला दिया गया है जो धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाने, धार्मिक भावनाएं आहत करने और शांति भंग की मंशा से अपमान करने से संबंधित हैं। गुरुग्राम की अदालत में पेशी के बाद शर्मिष्ठा पनोली को ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता लाकर शनिवार को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 13 जून 2025 तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
शर्मिष्ठा के वकील का कहना है कि उन्होंने इस गिरफ्तारी के खिलाफ जमानत याचिका दाखिल की है। उनका यह भी कहना है कि शर्मिष्ठा का मोबाइल फोन और लैपटॉप पहले ही जब्त किए जा चुके हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए वकील शमीमुद्दीन ने कहा, "हमने अदालत को बताया है कि जिन उपकरणों- मोबाइल और लैपटॉप के कथित इस्तेमाल का जिक्र अभियोजन पक्ष ने किया है, वे पहले ही पुलिस की हिरासत में हैं। ऐसे में आगे की हिरासत का कोई औचित्य नहीं बनता।"
उन्होंने आगे कहा, "अदालत ने हमारी बात सुनी और अभियोजन की ओर से मांगी गई पुलिस हिरासत की मांग को खारिज कर दिया। अदालत ने शर्मिष्ठा को सीधे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।"
यूनिवर्सिटी ने शर्मिष्ठा पर की कार्रवाई
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिंबायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने अकादमिक और नॉन अकादमिक गतिविधियों से तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया है। यूनिवर्सिटी की प्रो-चांसलर विद्या येरवडेकर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "हमने छात्रा की बात केवल सोशल मीडिया पर सुनी। जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया गया, वह न तो सिंबायोसिस की छात्रा के लिए उपयुक्त है और न ही किसी भारतीय नागरिक के लिए। हमने विश्वविद्यालय के आचार संहिता का पालन करते हुए अनुशासन समिति की बैठक बुलाई। इसके तहत छात्रा को तीन माह के लिए सभी शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से निलंबित कर दिया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम अपने संस्थान में 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना और सभी धर्मों एवं संस्कृतियों के प्रति सम्मान की शिक्षा देते हैं। इस मामले में हमने सख्त कार्रवाई की है और छात्रा को प्लेसमेंट से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।"
कौन हैं शर्मिष्ठा?
शर्मिष्ठा पुणे के सिंबायोसिस लॉ स्कूल में बीबीए-एलएलबी ऑनर्स के चौथे वर्ष की छात्रा हैं। सोशल मीडिया पर उनकी अच्छी खासी मौजूदगी है। एक्स (X ) पर करीब 85 हजार और इंस्टाग्राम पर 90 हजार फॉलोअर्स हैं।