नई दिल्लीःसुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ विज्ञापनों में भ्रामक दावों के मामले को बंद कर दिया है। पतंजलि के खिलाफ यह मामला भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि यदि निर्माण की अनुमति है तो विज्ञापन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपने पहले के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें कंपनी के खिलाफ सख्त जांच और अनुमोदन आवश्यकताओं को लागू किया गया था।
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने क्या कहा?
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मामले को बंद करते हुए कहा "एक बार आप निर्माण की अनुमति देते हैं तो उत्पाद का विज्ञापन एक स्वाभाविक व्यावसायिक व्यवहार होगा। "
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार की तरफ से पेश हुए थे, उन्होंने दलील दी कि मौजूदा कानूनी ढांचा पहले से पहले से ही झूठे चिकित्सा दावों पर रोक लगाता है। उन्होंने कहा इससे नियम 170 अनावश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा "पहले से ही एक वैधानिक व्यवस्था मौजूद है...हमें आम आदमी की बुद्धिमत्ता पर शक नहीं करना चाहिए। "
नियम 170 के तहत पारंपरिक चिकित्सा के विज्ञापनों के लिए पूर्व-अनुमोदन की आवश्यकता थी। वहीं, इस मामले में एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश हुए वकील प्रणव सचदेवा ने आग्रह किया कि आयुष मंत्रालय द्वारा नियम 170 को हटाने संबंधी अधिसूचना के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में लगाई गई रोक की यथास्थिति बनाए रखी जाए।
खतरों के बारे में दी चेतावनी
उन्होंने भ्रामक विज्ञापनों के खतरों के बारे में चेतावनी देते हुए कहा "बड़ी संख्या में लोग भोले-भाले हैं...आयुर्वेद में आकर आप कह सकते हैं कि यह इस बीमारी का इलाज है, लोग बहकावे में आ जाएंगे।"
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत जो कि एमिकस क्यूरी के रूप में कार्यरत हैं ने कहा कि 27 अगस्त 2024 के स्थगन के आदेश के बाद बहुत कुछ हुआ है। उन्होंने आगे कहा "राज्य इस नियम को लागू कर रहे हैं।" इसके बावजूद नियम 170 को हटाने वाली अधिसूचना ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़ने की दिशा में एक बदलाव का संकेत दिया।
पतंजलि के प्रवर्तकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने बार-बार इस मामले में माफी मांगी है जिसके बाद कंपनी को बिना किसी बाधा के परिचालन जारी रखने की अनुमति दी गई है।
अपने अंतिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मांगी गई राहत मिल गई है और इस मामले में आगे विचार की आवश्यकता नहीं है।