नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा की कार्यवाही भारी हंगामे और विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शनों के कारण बाधित रही। कुल 70 घंटे का समय व्यवधान के कारण नष्ट हो गया। विशेष रूप से तीसरे चरण में 65 घंटे का नुकसान हुआ। यह सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ और आज अचानक सत्रावसान (Sine Die) की घोषणा के साथ समाप्त हो गया। 19 दिसंबर को हुए विवाद और सदन में बढ़ते तनाव के कारण सत्र को पहले ही समाप्त करना पड़ा।

लोकसभा की कार्यवाही में बार-बार व्यवधान के कारण करदाताओं के लगभग 97.87 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। संसद सत्र चलाने की लागत 2.5 लाख रुपये प्रति मिनट से अधिक होती है, जिससे यह वित्तीय हानि और भी गंभीर हो जाती है।

संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने एक प्रेस वार्ता में विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी "लगातार प्रदर्शनों और विरोधों" ने संसद की उत्पादकता को कम करने में मुख्य भूमिका निभाई। यहां बता दें कि सत्र के दौरान लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 57.87 प्रतिशत और राज्यसभा में 41 प्रतिशत रही।

सत्र में व्यवधान और चर्चा का विस्तृत विवरण

लोकसभा सचिवालय के आंकड़ों के अनुसार, शीतकालीन सत्र के तीनों चरणों में कार्यवाही बाधित हुई जिसमें कई घंटों का नुकसान हुआ।

पहला चरण: 5 घंटे और 37 मिनट का नुकसान।

दूसरा चरण: 1 घंटे और 53 मिनट का नुकसान।

तीसरा चरण: 65 घंटे और 15 मिनट का नुकसान।

पहले चरण में, एनडीए और कांग्रेस के बीच बहस का मुख्य विषय उद्योगपति गौतम अडानी और अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े आरोप-प्रत्यारोप थे। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने मणिपुर और किसानों का मुद्दा उठाया। वहीं, सत्र खत्म होते-होते अंबेडकर मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ।

सत्र के दौरान चर्चा के समय में भी कमी देखी गई।

पहले चरण में: 34.16 घंटे की चर्चा हुई।

दूसरे चरण में: 115.21 घंटे का समय चर्चा के लिए मिला।

तीसरे चरण में: व्यवधानों के चलते चर्चा का समय मात्र 62 घंटे रह गया।

तीनों चरणों में कुल 7 बैठकें पहले चरण में, 15 दूसरे चरण में, और 20 तीसरे चरण में हुईं।

विधायी कार्य और अतिरिक्त काम

हंगामे के बावजूद, सांसदों ने विधायी कार्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय तक काम किया।

पहले चरण में: 7 घंटे अतिरिक्त काम हुआ।

दूसरे चरण में: 33 घंटे का अतिरिक्त समय दिया गया।

तीसरे चरण में: 21.7 घंटे की अतिरिक्त कार्यवाही हुई।

बिलों की बात करें तो पहले चरण में कोई नया बिल पेश नहीं किया गया।

दूसरे चरण में: 12 बिल पेश किए गए, जिनमें से 4 को पारित किया गया।

तीसरे चरण में: 5 बिल पेश हुए, जिनमें से 4 को मंजूरी मिली।

तीसरे चरण में पेश और पारित हुए विधेयक

पेश किए गए विधेयक:

-  तटीय शिपिंग विधेयक, 2024

-  मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024

-  संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 ( एक देश, एक चुनाव )

-  संघ राज्य क्षेत्रों कानून (संशोधन) विधेयक, 2024

-  विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024

पारित विधेयक:

-  बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024।

-  रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024।

-  आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024।

-  विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024।

नियम 377 के तहत उठाए गए मुद्दे

नियम 377 के तहत सदस्यों ने विभिन्न मुद्दे उठाए:

पहले चरण में: 41 मुद्दे।

दूसरे चरण में: 358 मुद्दे।

तीसरे चरण में: 397 मुद्दे।

मालूम हो कि नियम 377 के तहत, यदि कोई सदस्य ऐसा विषय उठाना चाहता है जो सदन की व्यवस्था से संबंधित नहीं है, तो उसे सचिवालय को लिखित रूप में सूचित करना होता है। इसे तभी उठाया जा सकता है, जब अध्यक्ष इसकी अनुमति दें।