दिल्ली: पूर्व ब्रह्मोस वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को पाकिस्तान को सैन्य जानकारियां लीक करने के आरोप में नागपुर की एक सत्र अदालत ने हाल में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। निशांत नागपुर में मिसाइल असेंबली यूनिट में काम करते थे। अपने कामों के लिए अवॉर्ड तक हासिल कर चुके निशांत को सत्र अदालत ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 235 के तहत दोषी ठहराया था।
निशांत को विदेशी शक्तियों को हथियारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी लीक करने के लिए उन्हें आईटी अधिनियम की धारा 66 (एफ) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों का दोषी पाया गया था। यूपी-एटीएस के जांच अधिकारी पंकज अवस्थी ने निशांत के मुकदमे के दौरान अपने बयान में कहा था कि ‘सेजल’ नाम से पाकिस्तान से एक फेसबुक अकाउंट बनाया था। इसी के इस्तेमाल से वह पाकिस्तान के ऑपरेटिव्स और भारत में अपने टार्गेट से बात करती थी।
तीन ऐप का पाकिस्तानी जासूसों ने किया था इस्तेमाल
चैट देखने से पता चलता है कि वह (सेजल) उस ग्रुप का हिस्सा थी जिसमें भारतीय डिफेंस या इससे जुड़े कर्मचारियों को धोखा देने के लिए सभी डेटा और टिप्स शेयर किए जाते थे। जांच अधिकारी अवस्थी ने अदालत को बताया था कि सेजल के कहने पर अग्रवाल ने उसके द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक किया था और 2017 में अपने निजी लैपटॉप पर तीन ऐप इंस्टॉल किए थे। ये ऐप थे- क्यूव्हिस्पर (Qwhisper), चैट टू हायर (Chat to Hire) और एक्स-ट्रस्ट (X-trust).
ये तीनों ऐप दरअसल एक मैलवेयर थे जिसके जरिए निशांत के लैपटॉप से डेटा चुराए गए। इस लैपटॉप में कई अहम जानकारी मौजूद थी। जांच में दावा किया गया है कि ब्रह्मोस मिसाइल से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज उसके निजी कंप्यूटर पर पाए गए, जो बीएपीएल के सुरक्षा मानदंडों का भी उल्लंघन है।
ऐसा बताया जाता है कि निशांत ने सेजल के साथ कथित तौर पर लिंक्ड-इन पर भी चैट की थी। यहां सेजन ने कथित तौर पर खुद को यूके की हेज एविएशन (Hays Aviation) में एक रिक्र्यूटर के रूप में पेश किया था उसे निशांत नौकरी पर रखने में रुचि दिखाई थी।
कैसे गिरफ्तार हुआ था निशांत?
निशांत को अक्टूबर 2018 में मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) और उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था। निशांत ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण करने वाले भारत-रूस संयुक्त उद्यम बीएपीएल के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत था। ब्रह्मोस भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे जमीन, हवा, समुद्र और पानी के नीचे से लॉन्च किया जा सकता है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस दरअसल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के सैन्य औद्योगिक कंसोर्टियम (एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया) का ज्वाइंट वेंचर है।
निशांत डीआरडीओ की ओर से युवा वैज्ञानिक पुरस्कार जीत चुका था और इसलिए इस तरह की गतिविधि में उसकी भागीदारी ने उसके सहयोगियों को भी चौंका दिया था। वह एक प्रतिभाशाली इंजीनियर के रूप में जाना जाता रहा है। उसने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरूक्षेत्र (IIT) से पढ़ाई की थी।