श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान की ओर से लगातार दसवीं रात भी संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया। बीती रात 3-4 मई को पाकिस्तानी सेना ने कुपवाड़ा, बारामुला, पुंछ, राजौरी, मेंढर, नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर क्षेत्रों में बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की। सेना के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भारतीय सेना ने संयमित और सटीक जवाबी कार्रवाई की। हालांकि, इन झड़पों में किसी प्रकार की जनहानि की सूचना नहीं है।
सेना के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की चौकियों ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ, राजौरी, मेंढर, नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर के आसपास के इलाकों में नियंत्रण रेखा के पार से बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की है। भारतीय सेना ने तुरंत और सटीक रूप से इसका जवाब दिया। गौरतलब है कि इंटेलिजेंस रिपोर्ट का साफ कहना है कि पाकिस्तानी सेना के पास गोला-बारूद की बहुत कमी है। यही कारण है कि पाकिस्तान की सेना किसी दृढ़ प्रतिज्ञ शत्रु के विरुद्ध चार दिन से अधिक समय तक युद्ध नहीं लड़ सकती।
पाकिस्तानी सेना के पास तोपखाने के गोला-बारूद की गंभीर कमी
खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सैन्य तैयारियां उसके तोपखाने के गोला-बारूद की गंभीर कमी के कारण अपने ही देश में सवालों के दायरे में आ गई हैं। पाकिस्तान ने यूक्रेन और इजरायल के साथ हथियारों के सौदे किए, जिससे उसकी समस्या और बढ़ गई है। पाकिस्तान के इस कदम ने उसकी रक्षा क्षमताओं को कमजोर कर दिया है। स्वयं पाकिस्तान को भी यह मालूम है कि महत्वपूर्ण तोपखाने के गोला-बारूद की कमी के कारण वह चार दिनों से अधिक समय तक लड़ने की स्थिति में नहीं है।
पाकिस्तानी सेना ने पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन और इजरायल को भारी मात्रा में अपने गोला-बारूद बेच दिए। आर्थिक कंगाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान ने इस के जरिए कुछ धन तो हासिल किया, लेकिन इससे उसकी सैन्य क्षमता को तगड़ा झटका लगा है। वहीं, पाकिस्तान के ऐसा करने से उसकी कूटनीतिक तटस्थता भी कमजोर हुई है। इसके साथ ही, पाकिस्तान के इस कदम ने उसकी खुद की युद्धक क्षमता को भी कमजोर किया है। यूक्रेन को हथियार बेचने की यह पूरी कहानी तब शुरू हुई है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध ने गोला-बारूद के लिए वैश्विक होड़ को प्रज्वलित किया था। खुफिया रिपोर्ट बताती हैं कि इस तरह पाकिस्तान ने इजरायल को भी हथियार बेचने का काम किया। इससे उसे फौरी तौर पर कुछ धन तो मिला, लेकिन उसकी सैन्य क्षमता कम हो गई।
बड़े हथियारों की इस कमी के बीच पाकिस्तानी सैन्य चौकियों से नियंत्रण रेखा पर छोटे हथियारों से फायरिंग की जा रही है। पाकिस्तानी सेना ने पहले भी नियंत्रण रेखा के पार से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ, नौशेरा और अखनूर क्षेत्रों में यह गोलीबारी की। बिना किसी उकसावे के पाकिस्तान सेना ने छोटे हथियारों से गोलीबारी की है। वहीं, भारतीय सेना के जवानों ने संयमित लेकिन सटीक तरीके से फायरिंग का जवाब दिया है।
वहीं, अमेरिका ने भारत को समर्थन देने की बात कही है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के पूर्ण समर्थन की पुनः पुष्टि की। उन्होंने कहा, “अमेरिका भारत के साथ एकजुटता में खड़ा है और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है।”
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार
गौरतलब है कि आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की निर्मम तरीके से हत्या की थी। इसके बाद से पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा पर भी संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रही है। हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है।
भारत ने घटना के तुरंत बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया, वाघा बॉर्डर सील कर दिया और भारत से व्यापार निलंबित कर दिया। पाकिस्तान ने यह भी चेतावनी दी है कि सिंधु नदी के जल के प्रवाह में किसी भी तरह की छेड़छाड़ को युद्ध की कार्यवाही माना जाएगा।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुलेआम धमकी दी है कि अगर भारत सिंधु नदी पर कोई बांध या जल-परिवर्तन से जुड़ा ढांचा बनाता है, तो पाकिस्तान उसपर हमला कर देगा एक टीवी इंटरव्यू में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि युद्ध केवल गोलियों से नहीं होता, पानी रोकना भी एक तरह का हमला है। अगर भारत ऐसा कोई कदम उठाता है, तो वह आक्रामकता मानी जाएगी और पाकिस्तान उस ढांचे को तबाह कर देगा।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का कहना है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वह समर्थन नहीं मिल पा रहा है जिसकी उसे अपेक्षा थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत के लगाए गए आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया और मोदी सरकार अब तक अपने दावों के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सकी है।
फरवरी 2021 में दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच हुई सहमति के तहत संघर्षविराम की पुनः पुष्टि की गई थी, लेकिन अप्रैल 2025 के आतंकी हमले के बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं और नियंत्रण रेखा पर एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है।