पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप से लगाई गुहार Photograph: (bole bharat desk)
इस्लामाबादः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भारत के साथ बातचीत कराने का आह्वान किया। शहबाज को ऐसा इसलिए करना पड़ा है क्योंकि भारत आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका को अमेरिका समेत दुनियाभर के सामने उजागर करने के प्रयास तेज रहा है।
इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शहबाज शरीफ ने भारत के साथ तनाव कम करने में मदद की सराहना की। हालांकि, भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता को लेकर खुले तौर पर नकारा है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अपने संबोधन के दौरान शरीफ ने ट्रंप से भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापक बातचीत कराने को लेकर आग्रह भी किया।
बिलावल भुट्टो की दलीलों को दोहराया
शहबाज शरीफ ने इस दौरान पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की दलीलों को दोहराया जिसमें भुट्टो ने कहा था कि ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में मदद के लिए ट्रंप क्रेडिट के हकदार हैं।
बिलावल भुट्टो के अनुसार ट्रंप ने 10 अलग-अलग मौकों पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर मध्यस्थता का जिक्र किया है और वो इस क्रेडिट के हकदार हैं। भुट्टो ने कहा था कि ट्रंप क्रेडिट डिजर्व करते हैं क्योंकि उन्होंने ही युद्धविराम को संभव बनाया।
भारत हालांकि लगातार भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से इंकार करता रहा है। कश्मीर मुद्दे पर भी भारत का यही रुख है।
थरूर के प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान की खोली पोल
शशि थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका में कहा कि वाशिंगटन भारत का रुख समझता है कि सिर पर बंदूक रखकर कोई भी बात नहीं हो सकती है। वहीं, थरूर ने पाकिस्तान के उस दावे को भी खारिज किया कि पाकिस्तान भी भारत की तरह आतंकवाद से पीड़ित रहा है। थरूर ने कहा कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद से पीड़ित है तो यह किसकी गलती है। इस दौरान उन्होंने हिलेरी क्लिंटन के वाक्य को भी दोहराया कि आप अपने घर के पीछे सांप नहीं पाल सकते और फिर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह सिर्फ पड़ोसियों को डसे।
पाकिस्तान के इस दावे पर भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी लताड़ लगाई। सूर्या ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा शांति की बात करना उसी तरह है जैसे को शैतान धर्मग्रंथों की बात कर रहा हो।
गौरतलब है कि भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर लांच किया था। इसके बाद भारत ने आतंकवाद के प्रति अपने रुख को स्पष्ट करने के बारे में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया और उन्हें दुनियाभर में भारत के रुख के बारे में बताने को कहा है।