बलूच कार्यकर्ता महरंग बलोच ने नोबेल पुरस्कार नामांकन की पुष्टि की है। वे पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों और जबरन लोगों को गायब किए जाने की घटनाओं पर दुनिया का ध्यान खींचने के लिए काम करती रही हैं। महरंग बलोच ने सोशल मीडिया पर बताया कि कि उनसे लगातार नामांकन को लेकर बहुत से सवाल पूछे जा रहे हैं, और वह इस बात की पुष्टि कर सकती हैं कि यह सच है। उन्होंने कहा कि वह इस नामांकन से बहुत सम्मानित महसूस कर रही हैं, लेकिन यह उनके बारे में नहीं है। बलूचिस्तान के जबरन गायब किए गए हजारों व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए यह लड़ाई है, जो अभी भी न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

बता दें कि लंबे समय से बलूचिस्तान मानवाधिकार उल्लंघनों और राज्य के दमन का शिकार रहा है। महरंग बलोच ने विशेष रूप से बलूच समुदाय के सदस्यों की जबरन गुमशुदगी के मुद्दे को उठाया है। बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगी, राज्य की आलोचना करने वालों को हिरासत में लेना, और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले जैसे गंभीर आरोप लंबे समय से लगाए जा रहे हैं। महरंग बलोच का नामांकन उन लोगों की आवाज़ को एक मंच प्रदान करता है जो इन घटनाओं से प्रताड़ित हैं और जिन्होंने न्याय की मांग की है।

कौन है महरंग बलूच?

महरंग का जन्म 1993 में में हुआ था, उनके पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव एक मजदूर थे। पहले उनका परिवार क्वेटा में रहता था लेकिन मां की बीमारी के इलाज के लिए कराची स्थानांतरित हो गया। महरंग का अब तक का सफर चुनौतियों से भरा रहा है। उनके मानवधिकार कार्यकर्ता बनने के पीछे भी दर्दनाक कहानी है। दरअसल, दिसंबर 2009 में उनके पिता को कराची में अस्पताल ले जाते समय पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने जबरन अपहरण कर लिया था। 16 साल की उम्र में महरंग ने तुरंत पिता को वापस लाने के लिए विरोध करना शुरू कर दिया और छात्र आंदोलनों में जाने लगीं। हालांकि, जुलाई 2011 में उनके पिता को मार दिया गया। 

पाकिस्तान सरकार के खिलाफ किया आंदोलन

 2017 में उनके भाई को भी अगवा कर लिया गया था। इस घटना ने महरंग की पूरी जिंदगी ही बदल दी। अपने भाई को वापस लाने के लिए उन्होंने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। इसके एक साल बाद उनके भाई को वापस कर दिया था। साल 2019 में महरंग ने बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) की स्थापना की। महरंग पेशे से एक डॉक्टर भी हैं। बलूचिस्तान में उन्हें खूब पसंद किया जाता है। उनकी रैलियों में लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। महरंग ने स्कूलों और लोगों के घरों में जाकर अभियान चलाया। इसके बाद पाकिस्तान ने बलूचिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलोच का नाम आतंकी सूची में शामिल कर दिया।