इस्लामाबाद/नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच वाशिंगटन में हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है। बैठक के बाद जारी भारत-अमेरिका संयुक्त बयान में पाकिस्तान का विशेष रूप से जिक्र किए जाने से नाराज इस्लामाबाद ने अमेरिका के साथ अपने आतंकवाद-रोधी सहयोग का हवाला देते हुए गहरी नाखुशी जाहिर की है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "हम भारत-अमेरिका संयुक्त बयान में पाकिस्तान के संदर्भ को एकतरफा, भ्रामक और कूटनीतिक मानकों के विपरीत मानते हैं। हमें यह देखकर हैरानी हुई कि अमेरिका के साथ हमारे आतंकवाद-रोधी सहयोग के बावजूद ऐसा बयान जारी किया गया।"
भारत-अमेरिका का साझा बयान से परेशान हुआ पाकिस्तान
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने आतंकवाद के वैश्विक संकट पर व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के सुरक्षित ठिकानों को दुनिया के हर कोने से खत्म किया जाना चाहिए।
संयुक्त बयान में कहा गया, "हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वालों को न्याय के कटघरे में लाने की प्रतिबद्धता के तहत अमेरिका ने तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। साथ ही, दोनों नेताओं ने पाकिस्तान से 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि उसकी जमीन का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवादी हमलों के लिए न किया जाए।"
मुंबई हमले से जुड़े तहव्वुर राणा का मामला
पाकिस्तानी मूल के व्यवसायी तहव्वुर हुसैन राणा पर 2008 के मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोप है, जिसमें छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे। राणा ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सहायता की थी और उसका संबंध पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली से भी था, जिसे हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है।
संयुक्त बयान में अल-कायदा, आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
पाकिस्तान ने सैन्य संतुलन बिगाड़ने का आरोप लगाया
संयुक्त बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने भारत को अमेरिकी सैन्य तकनीक की आपूर्ति पर भी आपत्ति जताई। शफकत अली खान ने कहा, "हम इस तरह के सैन्य सहयोग को लेकर गंभीर चिंतित हैं। इससे क्षेत्र में सैन्य संतुलन बिगड़ेगा और रणनीतिक स्थिरता को खतरा पहुंचेगा। यह दक्षिण एशिया में शांति के प्रयासों को कमजोर करने वाला कदम है।"
भारत-अमेरिका के इस साझा रुख के चलते पाकिस्तान की कूटनीतिक चुनौतियां बढ़ गई हैं। इस्लामाबाद अब अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए विकल्पों पर विचार कर रहा है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ