सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान ने लगाई भारत से गुहार, निलंबन पर फिर से विचार की अपील

सूत्रों के अनुसार सिंधु जल संधि के निलंबन पर फिर से विचार की अपील वाला यह पत्र ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के पास आया होगा। हालांकि, भारत अपना स्टैंड बदलने के मूड में नहीं है।

Indus Water Treaty

फाइल फोटो


नई दिल्ली: सिंधु जल संधि (IWT) को स्थगित रखने के भारत के फैसले से परेशान पाकिस्तान ने भारत से इस पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उसने 1960 की संधि के तहत विनियमित जल पर लाखों लोगों की निर्भरता का हवाला दिया है। बताया जा रहा है कि यह अपील पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा द्वारा भारत के जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी को लिखे गए पत्र में की गई है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हालांकि, पत्र का लहजा पूरी तरह से शांति वाला नहीं है। पाकिस्तान ने भारत के फैसले को 'एकतरफा और अवैध' और 'पाकिस्तान के लोगों और उसकी अर्थव्यवस्था पर हमले के बराबर' बताया है। खास बात यह भी है कि सूत्रों के अनुसार यह पत्र ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के पास आया होगा।

भारत सरकार ने इस 'अपील' पर टिप्पणी से अभी परहेज किया है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि ऐसे पत्र से 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा पहलगाम में पर्यटकों की हत्या के प्रतिशोध के रूप में संधि को स्थगित करने के निर्णय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। सरकार के सूत्रों ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता' वाले बयान का भी हवाला दिया। भारत ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया है कि संधि को निलंबित रखने का निर्णय 'अवैध' है।

एक तरफ चिट्ठी...एक तरफ धमकी

इस बीच बुधवार को पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि अगर भारत 'सिंधु जल संधि' को फिर से शुरू नहीं करता है और हमारी तरफ आने वाले पानी को मोड़ने की कोशिश करता है तो दोनों देशों के बीच लागू हुआ संघर्ष विराम खतरे में पड़ सकता है। 

इशाक डार ने कहा, 'वह भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम का स्वागत करते हैं, लेकिन दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के क्षेत्रों में बड़े सैन्य अभियानों के बाद, जल मुद्दे को जल्द ही हल करने की आवश्यकता है। यदि भारत सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने के अपने फैसले को वापस नहीं लेता है तो युद्ध विराम की संभावना सवालों के घेरे में ही रहेगी।'

गौरतलब है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 सैलानियों की हत्या कर दी थी। भारत सरकार ने इस आतंकी हमले के जवाब के रूप में सबसे पहले सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया था। इससे पाकिस्तान में जल संकट का आहट मिलने लगी है।

सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था। इस संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज के जल का बंटवारा हुआ था। इस संधि के तहत भारत से बहता हुए पानी का करीब 80 प्रतिशत पाकिस्तान चला जाता है।

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