पहलगाम हमले से पहले आतंकियों ने की थी तीन और जगहों की रेकी: सूत्र

जांच अधिकारियों को पता चला है कि पहलगाम में हमले को अंजाम देने से दो दिन पहले से ही आतंकी बैसरन घाटी में मौजूद थे। उन्होंने तीन और पर्यटक स्थलों की भी रेकी की थी।

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नई दिल्ली: पहलगाम में 22 अप्रैल को हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी घटना से दो दिन पहले से ही बैसरन घाटी में मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार किए गए हमले से जुड़े एक ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) से पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ। जांच से जुड़े एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार आतंकवादी 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे और सुरम्य बैसरन घाटी सहित कम से कम चार स्थानों की रेकी की थी।

सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारियों को पता चला है कि बैसरन घाटी के अलावा अन्य तीन संभावित टार्गेट अरु घाटी, स्थानीय अम्यूजमेंट पार्क और बेताब घाटी थे जो आतंकवादियों की नजर में थे। सूत्रों के मुताबिक हालांकि इन क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए आतंकवादियों ने वहां हमला करने का इरादा छोड़ दिया।

20 ओवर ग्राउंड वर्करों की NIA ने की है पहचान

पहलगाम आतंकी हमले की जांच का नेतृत्व कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लगभग 20 ओजीडब्ल्यू की पहचान की है, जिनके बारे में माना जा रहा है कि उन्होंने आतंकवादियों को मदद पहुंचाई थी। उनमें से कई को गिरफ्तार कर लिया गया है, और कुछ पर निगरानी रखी गई है। 

खुफिया सूत्रों के अनुसार, कम से कम चार ओजीडब्ल्यू ने आतंकवादियों को रेकी करने और रसद सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमले से पहले के चरण के दौरान क्षेत्र में तीन सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल के बारे में भी सबूत सामने आए हैं। इनमें से दो उपकरणों के सिग्नल को सफलतापूर्वक ट्रेस कर लिया गया है।

2500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ

सामने आई जानकारी के अनुसार एनआईए और खुफिया एजेंसियों ने पहलगाम हमले के सिलसिले में अब तक 2,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है। अभी तक 186 लोग आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में हैं।

हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर छापेमारी की गई। कुपवाड़ा, हंदवाड़ा, अनंतनाग, त्राल, पुलवामा, सोपोर, बारामुल्ला और बांदीपुरा सहित कई स्थानों पर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के विभिन्न गुटों और जमात-ए-इस्लामी जैसे प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों और समर्थकों से जुड़े घरों की भी तलाशी ली गई है।

एनआईए सूत्रों के अनुसार, इन समूहों पर प्रतिबंध है लेकिन इसके बावजूद ऐसा नेटवर्क विकसित करने में सफल रहे हैं, जिससे पाकिस्तानी आतंकवादियों को पहलगाम हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में मदद मिली।
इन प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े लोगों के कॉल रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है। जांचकर्ताओं को इन समूहों के सदस्यों और पहलगाम हमले में शामिल ओवर ग्राउंड वर्करों के बीच संपर्क लिंक का भी पता चला है।

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