नई दिल्ली/श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के ठीक दो महीने बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए दो स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों को पनाह देने और रसद सहायता प्रदान करने का आरोप है।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान परवेज अहमद जोथर (निवासी बाटकोट, पहलगाम) और बशीर अहमद जोथर (निवासी हिल पार्क, पहलगाम) के रूप में हुई है। एनआईए ने अपने बयान में कहा है कि इन दोनों आरोपियों ने हमले से पहले तीन पाकिस्तानी आतंकियों को अपने यहां एक मौसमी ढोक (झोपड़ी) में शरण दी थी, उन्हें भोजन, आश्रय और अन्य जरूरी सहायता उपलब्ध कराई थी।

एनआईए ने कहा कि पूछताछ में दोनों आरोपियों ने हमले में शामिल तीन आतंकियों की पहचान उजागर की है, जो पाकिस्तान के नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। उन्होंने यह भी कबूल किया है कि आतंकी हमले से पहले सभी तैयारियों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।

यह हमला बैसरन घाटी में हुआ था, जिसे मिनी स्विटजरलैंड के नाम से जाना जाता है। आतंकी हमले में 25 हिंदू पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की निर्मम हत्या कर दी गई थी, जबकि 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। हमलावरों ने पीड़ितों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें निशाना बनाया, जिससे यह हमला भारत में अब तक के सबसे विभत्स आतंकी हमलों में से एक बन गया।

एनआईए ने दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया है। मामले की जांच जारी है और अन्य संभावित सहयोगियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

पहलगाम हमले के बाद भारत ने चलाया ऑपरेशन 'सिंदूर'

इस नरसंहार के बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान की सीमा के भीतर स्थित लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि की गई थी।

भारतीय सेना ने इसके बाद पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को भी निशाना बनाया, जिसमें रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस को भी नुकसान पहुंचाया गया। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघनों की श्रृंखला शुरू कर दी थी, जिसे भारत ने सख्ती से जवाब दिया।

10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत से युद्धविराम की अपील की और दोनों देशों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई। भारत ने स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान ने भविष्य में कोई दुस्साहस किया, तो उसे पहले से भी कहीं अधिक कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।