नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद भारत इस बार पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक स्तर पर भी आक्रामक रुख अपनाना चाहता है। पाकिस्तान पर आतंकियों को समर्थन और मदद पहुंचाने का आरोप भारत लंबे समय से लगाता रहा है। पहलगाम में भी पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका के सबूत भारत को मिलने लगे हैं। ऐसे में भारत अब नए सिरे से इस तैयारी में है कि सभी वैश्विक एजेंसियों से पाकिस्तान को मिलने वाले फंड और मदद पर पुनर्विचार के लिए दबाव बनाया जाए।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) सहित कई अन्य एजेंसियों से पाकिस्तान को दिए गए धन और ऋण पर पुनर्विचार करने के लिए कहने जा रही है। साथ ही भारत सरकार वैश्विक धन शोधन निरोधक एजेंसी- फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से इस्लामाबाद को फिर से ग्रे सूची में डालने का भी आग्रह करेगी।

फंडिंग पर रोक से पाकिस्तान को पहुंचेगी चोट

एक सरकारी सूत्र ने बताया कि भारत आईएमएफ द्वारा हाल के महीनों में पाकिस्तान को दिवालियापन से बचने में मदद करने के लिए दी गई सुविधाओं की समीक्षा की मांग करेगा। भारत विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसी अन्य एजेंसियों के साथ भी संपर्क में है जो पाकिस्तान में परियोजनाओं को वित्तपोषित कर रही हैं। 

जाहिर है पाकिस्तान को मिलने वाली फंडिंग बंद होने से उसकी नाजुक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा। पाकिस्तान ने पिछले साल आईएमएफ से 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट कार्यक्रम हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली थी। इसके बाद इसी साल मार्च में उसे 1.3 बिलियन डॉलर का नया क्लाइमेट रिजिलियंस लोन दिया गया था।

पाकिस्तान को फंडिंग को लेकर IMF करने वाला है पहली समीक्षा

यह जानकारी भी सामने आई है कि आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड विस्तारित वित्तपोषण सुविधा की पहली समीक्षा के लिए 9 मई को पाकिस्तानी अधिकारियों से मिलने वाला है। 

ऑव्जर्वर रिचर्स फाउंडेशन के शोधकर्ता सौम्या भौमिक ने भी हाल में अपने एक पेपर में लिखा, 'आईएमएफ को 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ अपने जुड़ाव का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। पहलगाम का हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद से भारतीय नागरिकों पर सबसे घातक हमला है। आईएमएफ का आतंकवाद के समर्थन करने वाले पाकिस्तान के लिए कठोर शर्तों के बिना वित्तीय सहायता जारी रखना आर्थिक स्थिरता और सुधार के मूल उद्देश्यों को कमजोर करने का जोखिम है। आईएमएफ कार्यक्रमों में आतंकवाद विरोधी उपायों और जवाबदेही तंत्रों को एकीकृत करना यह सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है कि वित्तीय सहायता अनजाने में क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों को सब्सिडी न दे।'

जनवरी 2025 में, विश्व बैंक ने नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को अपनी चुनौतियों से उबरने के लिए 20 बिलियन डॉलर (16 खरब से ज्यादा) के ऋण पैकेज को मंजूरी दी थी।