नई दिल्लीः 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी ‘रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली है जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक शाखा माना जाता है। प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों ने कैमरे पर यह बयान दिया कि हमलावरों ने पर्यटकों को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि वे मुसलमान नहीं थे।

देशभर के मीडिया संस्थानों ने इस घटना को विभत्स बताया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस घटना को कवर किया है। हालांकि कइयों ने इस सीधे-सीधे आंतकी हमला लिखने से परहेज किया है। इसकी जगह उन्होंने हमलावरों को ‘गनमैन’ या ‘सशस्त्र हमलावर’ लिखा है और जम्मू-कश्मीर के लिए ‘इंडियन-एडमिनिस्टर्ड कश्मीर’ यानी ‘भारत शासित कश्मीर’ का इस्तेमाल किया गया है।

बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में शीर्षक दिया: “More than 20 killed after gunmen open fire on tourists in Indian-administered Kashmir”। रिपोर्ट में इसे सीधे तौर पर आतंकवादी हमला कहने से बचा गया, और सिर्फ एक कथन में इसका जिक्र किया गया।

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट की हेडिंग “Gunmen launch rare attack on tourists in Indian-administered Kashmir” दी है। ‘आतंकी हमला’ शब्द का इस्तेमाल केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को कोट करते समय किया गया।

इसी तरह सीएनएन ने भी अपनी रिपोर्ट (Dozens killed as gunmen massacre tourists in Kashmir beauty spot) में गनमैन का इस्तेमाल किया है। आतंकी लिखने से इसने भी परहेज किया। इसने लिखा कि दशकों से उग्रवाद और भारत के शासन के विरोध से प्रभावित इस क्षेत्र में पर्यटकों पर ऐसा हमला बेहद दुर्लभ माना जा रहा है।

फ्रांस 24, अल जजीरा, DW, एसबीएस, बांग्लादेश गार्जियन, मिडल ईस्ट आई, यूरोन्यूज, और एशियन न्यूज नेटवर्क जैसे कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने भी इसी तरह की शब्दावली अपनाई। इन रिपोर्टों में- हमलावरों को ‘गनमैन’, ‘सशस्त्र हमलावर’ या ‘मिलिटेंट्स’ कहा गया। हमले को ‘आतंकी हमला’ कहने से परहेज किया गया और अगर किया भी गया तो केवल नेताओं के बयानों में। जम्मू-कश्मीर को बार-बार ‘भारत शासित कश्मीर’ कहा गया।

मिडल ईस्ट आई ने तो यहां तक कहा कि “कश्मीर दुनिया के सबसे सैन्यीकृत इलाकों में से एक है” और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत पर “स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने” का आरोप लगाने के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों को कोट किया। एशियन न्यूज नेटवर्क हालांकि एक अपवाद रहा, जिसने टीआरएफ को एक आतंकी संगठन कहा और हमले को स्पष्ट रूप से आतंकी हमला करार दिया।

भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने 'आतंकवादी' की जगह 'गनमैन' या 'मिलिटेंट' जैसे शब्दों के प्रयोग पर आपत्ति जताई। बीबीसी, सीएनएन और द गार्जियन जैसे आउटलेट्स ने हमलावरों को ‘संभावित बंदूकधारी’ या ‘उग्रवादी’ कहा, जिसे कई भारतीय यूजर्स ने हमले की गंभीरता को कमतर बताने की कोशिश बताया। अल जजीरा और रॉयटर्स जैसी संस्थाओं ने इस हमले को भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव और कश्मीर की राजनीतिक स्थिति से जोड़ा।एक्स पर भारतीय यूजर्स ने पश्चिमी मीडिया पर हमले की धार्मिक प्रकृति और आतंकी चरित्र को छिपाने का आरोप लगाया।