विपक्ष ने पूछा- पहलगाम में आतंकी हमले के दौरान सुरक्षाबल क्यों नहीं थे? केंद्र ने दिया जवाब

गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। इसका उद्देश्य पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा करना था। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य केंद्रीय मंत्री मौजूद थे।

Pahalgam terrorist attack, All Party meeting, Pahalgam News, Why Were There No Soldiers At Pahalgam, Asks Opposition, Centre Answers pahalgam security laps,

नई दिल्ली: पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए घातक आतंकी हमले के एक दिन बाद गुरुवार शाम को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। इसका उद्देश्य पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा करना था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बुलाई गई इस बैठक में विपक्ष ने केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए। गौरतलब है कि हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई है।

बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई जब सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदमों की घोषणा की है, जिनमें राजनयिक संबंधों को कम करना, पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को निष्कासित करना, 1960 की सिंधु जल संधि का निलंबन, और अटारी सीमा मार्ग को बंद करना शामिल है।

'बैसारन में सुरक्षा बल क्यों नहीं थे' सवाल पर सरकार का जवाब

बैठक में सबसे महत्वपूर्ण सवाल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उठाया, जिसका समर्थन राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह समेत कई विपक्षी नेताओं ने किया। सवाल था कि "हमले के समय बैसारन जैसे संवेदनशील पर्यटक स्थल पर सुरक्षा बलों की तैनाती क्यों नहीं थी?"

खड़गे ने भी यही सवाल किया और पूछा कहा कि पिछले तीन दिनों में लगभग 1000 पर्यटक क्षेत्र से लौट चुके हैं। जब इतनी बड़ी संख्या में लोग वहां मौजूद थे, तो पुलिस को इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए थी। 

सरकार ने बताया कि बैसारन क्षेत्र में आमतौर पर सुरक्षा बलों की तैनाती सालाना अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले ही होती है, जो जून में आरंभ होती है। अमरनाथ यात्रा के लिए यह मार्ग तभी औपचारिक रूप से खोला जाता है। सुरक्षा बल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए उस समय सक्रिय किए जाते हैं।

केंद्र सरकार के मुताबिक, इस साल 20 अप्रैल से ही स्थानीय टूर ऑपरेटर पर्यटकों को इस क्षेत्र में ले जाने लगे, जबकि सुरक्षा बलों की तैनाती अभी शुरू नहीं हुई थी। बैठक में सरकारी प्रतिनिधियों ने जोर देकर कहा कि स्थानीय प्रशासन को पर्यटकों की यात्राओं के जल्दी शुरू होने के बारे में सूचित नहीं किया गया था, इसलिए सैनिकों की कोई तैनाती नहीं हुई थी।

'सिंधु जल संधि निलंबन' पर भी उठे सवाल

विपक्ष ने यह भी पूछा कि जब भारत के पास जल भंडारण की पर्याप्त क्षमता नहीं है, तो सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय क्यों लिया गया? इसके जवाब में सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यह फैसला "तत्काल परिणाम" के लिए नहीं, बल्कि "एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक संदेश" देने के लिए लिया गया है। सरकार ने कहा, यह निर्णय यह भी बताता है कि भविष्य में सरकार का रुख क्या होने वाला है।

बैठक की शुरुआत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मौजूदा सुरक्षा स्थिति का जायजा प्रस्तुत किया। इसके बाद खुफिया विभाग (IB) के निदेशक तपन डेका ने 20 मिनट का विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया जिसमें हमले के क्रम, खुफिया सूचनाएं और अब तक की कार्रवाई का विवरण दिया गया।

बैठक में कौन-कौन शामिल रहा

इस अहम बैठक में विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, भाजपा से जेपी नड्डा, राकांपा (शरद गुट) से सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल, बीजद से सस्मित पात्र, शिवसेना (शिंदे गुट) से श्रीकांत शिंदे, राजद से प्रेमचंद गुप्ता, डीएमके से तिरुचि शिवा और सपा से रामगोपाल यादव जैसे नेताओं ने भाग लिया।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article