पहलगाम हमलाः विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी की ट्रोलिंग पर महिला आयोग ने जताई आपत्ति

मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया।  राष्ट्रीय महिला आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, "जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में देश के अनेक नागरिकों की हत्या कर दी गई थी।

 हिमांशी नरवाल

हिमांशी नरवाल Photograph: (सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गिए नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल एक बयान को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही हैं।  दरअसल, हिमांशी नरवाल ने सभी मुस्लिमों और कश्मीरियों से नफरत नहीं करने की सलाह दी थी। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने उन्हें ट्रोल किया।  कुछ यूजर्स उन्हें ट्रोल करते हुए नजर आए, जबकि कुछ यूजर्स उनके पक्ष में आए। 

अब इस मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया।  राष्ट्रीय महिला आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, "जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में देश के अनेक नागरिकों की हत्या कर दी गई थी।  इस हमले में अन्य लोगों के साथ लेफ्टिनेंट विनय नरवाल से उनका धर्म पूछकर उन्हें गोली मार दी गई थी।  इस आतंकी हमले से पूरा देश आहत और क्रोधित है। "

हिमांशी को ट्रोल करना निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण- महिला आयोग

पोस्ट में आगे लिखा गया, "लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मृत्यु के पश्चात उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल को उनके एक बयान के संदर्भ में सोशल मीडिया पर जिस प्रकार से निशाना बनाया जा रहा है, वह अत्यंत निंदनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। " आयोग ने पोस्ट में लिखा, "किसी महिला की वैचारिक अभिव्यक्ति या निजी जीवन को आधार बनाकर उसे ट्रोल करना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।  किसी भी प्रकार की सहमति या असहमति को सदैव शालीनता और संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर व्यक्त किया जाना चाहिए। "

ट्रोल करना उचित नहीं- विजया रहाटकर 

आयोग ने लिखा, "राष्ट्रीय महिला आयोग प्रत्येक महिला की गरिमा और सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। " राष्ट्रीय महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष और बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव विजया रहाटकर ने सोशल मीडिया पर हिमांशी नरवाल की आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए लिखा, "शायद उनकी प्रतिक्रिया आक्रोशित लोगों को ठीक नहीं लगी होगी।  परंतु किसी भी प्रकार की सहमति या असहमति को सदैव शालीनता और संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर व्यक्त किया जाना चाहिए। " उन्होंने कहा, "किसी महिला की वैचारिक अभिव्यक्ति या निजी जीवन को आधार बनाकर उसे ट्रोल करना उचित नहीं है।  हर एक महिला की गरिमा और सम्मान मूल्यवान है। "

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