श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद जहां सुरक्षा बलों ने अपनी जांच तेज कर दी है, वहीं महाराष्ट्र के जलना निवासी आदर्श राउत का एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है। उसने दावा किया कि संदिग्ध हमलावरों में से एक ने हमले से एक दिन पहले उससे बात की थी।

राउत ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि 22 अप्रैल को हुए हमले से एक दिन पहले (21 अप्रैल को) बैसारन घाटी में एक संदिग्ध व्यक्ति ने उनसे बातचीत की थी। राउत ने बताया, वह घुड़सवारी करने पहलगाम गए थे और खाने के लिए 'मैगी स्टॉल' पर रुके हुए थे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आयाऔर पूछा, 'हिंदू हो क्या? तुम कश्मीरी नहीं लगते।' इसके बाद उसने अपने साथी से कहा, 'आज भीड़ कम है।'"

राउत ने कहा कि उन्हें यह बात परेशान करने वाली लगी। राउत ने आगे कहा कि उन्हें हमलावर के बारे में तब पता चला जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवादियों के स्केच जारी किए। राउत ने अपना अनुभव विस्तार से ईमेल के माध्यम से एनआईए को भेजा है, हालांकि अभी तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा, "मैं पूरी तरह से जांच में सहयोग करूंगा अगर मुझसे संपर्क किया गया।"

चार आतंकियों ने दिया घटना को अंजाम

मीडिया आउटलेट WION ने एक रिपोर्ट में बताया है कि हमले में चार आतंकी शामिल थे, जिनमें से दो ने सेना की वर्दी और दो ने सिविलियन कपड़े पहन रखे थे। तीन आतंकी बैसारन मैदान के भीतर घुसे जबकि चौथा बाहर से कवर फायर दे रहा था। इस आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई है जबकि कई घायल हुए हैं।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मुख्य आरोपियों में से एक हाशिम मूसा पाकिस्तान सेना की पैरा फोर्स का पूर्व सैनिक था। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान आर्मी से बर्खास्तगी के बाद हाशिम मूसा ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सदस्यता ली। माना जा रहा है कि वह सितंबर 2023 में भारत में घुसपैठ कर कश्मीर पहुंचा और श्रीनगर के पास बडगाम जिले में सक्रिय था।

मूसा को पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) की ओर से लश्कर में शामिल होकर घाटी में आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने का टास्क दिया गया था। मूसा विशेष रूप से गुप्त और अनियमित युद्ध रणनीतियों में प्रशिक्षित था। वह आधुनिक हथियारों के संचालन, हाथ से लड़ाई, लंबी दूरी की नेविगेशन और दुर्गम परिस्थितियों में जीवित रहने की विशेष क्षमताओं में माहिर था।

मूसा का सेना से संबंध एक स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) की पूछताछ के दौरान उजागर हुआ, जिसे हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने हिरासत में लिया था। पूछताछ में खुलासा हुआ कि कम से कम 14 कश्मीरी ओवरग्राउंड वर्करों ने पाकिस्तानी आतंकियों को रसद, आश्रय और हमले से पहले इलाके की रेकी में मदद की थी।

घटना के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एहतियातन घाटी के करीब 50 पर्यटन स्थलों और ट्रेकिंग रूट्स को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। यह फैसला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, खासकर पर्यटन सीजन की शुरुआत से पहले।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए सेना को खुली छूट

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर 'करारा प्रहार' करने के लिए सेना को खुली छूट दी। उन्होंने कहा कि हमारी सेना को यह अधिकार है कि वह कब, कैसे और किस लक्ष्य पर प्रहार करना है, इसका निर्णय स्वयं ले। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के साथ ही सेना, नौसेना तथा वायु सेना के प्रमुख भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार यानी 30 अप्रैल को भी अपने निवास पर कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक बुलाई, जिसमें आतंकवादियों के सीमा पार संपर्कों पर विस्तृत जानकारी दी गई।

हमले के बावजूद पर्यटकों की आमद बनी हुई है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने डल झील से शिकारा राइड का वीडियो साझा करते हुए कहा, "आतंक भारत की आत्मा को नहीं हरा सकता। कायराना हमले के बाद भी सैकड़ों सैलानी गुलडांडा और चट्टरगल्ला पहुंचे। चार दिन बाद भद्रवाह-पठानकोट हाईवे फिर से चालू हो गया – सामान्य स्थिति लौट रही है।"