नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को बताया कि वह 200 से अधिक कनाडाई कॉलेजों की मानव तस्करी मामले में संलिप्तता की जांच कर रहा है। यह जांच भवेश अशोकभाई पटेल और अन्य के खिलाफ दर्ज डिंगुचा केस से संबंधित है, जिसमें भारतीय नागरिकों को अवैध चैनलों के माध्यम से कनाडा के रास्ते अमेरिका भेजने की साजिश रचने का आरोप है।

डिंगुचा केस: मानव तस्करी का दिल दहला देने वाला मामला

इस जांच की शुरुआत गुजरात के डिंगुचा गांव के एक भारतीय परिवार की मौत के बाद हुई, जो 19 जनवरी 2022 को कनाडा-अमेरिका सीमा पर मृत पाए गए थे। आरोप है कि इस रैकेट ने नागरिकों को अवैध तरीके से अमेरिका भेजने के लिए ₹55-60 लाख प्रति व्यक्ति की भारी रकम वसूली।

ईडी के अनुसार, यह रैकेट बेहद सुनियोजित तरीके से संचालित किया गया। इसके तहत भारतीय नागरिकों को कनाडा के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलाकर उनके लिए छात्रों का वीजा प्राप्त किया गया। लेकिन कनाडा पहुंचने के बाद इन छात्रों को कॉलेज में नहीं जाने दिया गया। इसके बजाय, उन्हें कनाडा-अमेरिका सीमा पार कर अवैध रूप से अमेरिका भेज दिया गया।

8 जगहों पर ईडी की छापेमारी, ₹19 लाख के बैंक खाते फ्रीज

ईडी ने इस मामले की जांच के लिए 10 और 19 दिसंबर को मुंबई, नागपुर, गांधीनगर और वडोदरा में आठ स्थानों पर छापेमारी की। ये छापेमारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई। छापेमारी के दौरान ₹19 लाख की बैंक खाते फ्रीज किए गए। कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए और दो वाहन भी सीज किए गए।

जांच में पाया गया कि इस रैकेट का संचालन करने वाली दो संस्थाएं मुंबई और नागपुर में स्थित थीं। इन संस्थाओं ने कनाडाई कॉलेजों के साथ कमीशन आधारित समझौते किए थे, जिसके तहत छात्रों का प्रवेश कराया जाता था।

 गुजरात में इस रैकेट से जुड़े 1700 एजेंट सक्रिय

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि इस रैकेट में कनाडा के 200 से अधिक कॉलेजों की भूमिका संदिग्ध है। मुंबई स्थित एक संस्था ने 112 कनाडाई कॉलेजों के साथ समझौते किए थे। वहीं, नागपुर स्थित संस्था ने 150 कॉलेजों के साथ साझेदारी की थी। इन कॉलेजों को छात्रों की फीस भेजी जाती थी, लेकिन बाद में वह रकम वापस छात्रों के खातों में लौटा दी जाती थी।

जांच में पाया गया कि मुंबई स्थित संस्था हर साल लगभग 25,000 छात्रों को विदेशों में भेजती है। नागपुर स्थित संस्था करीब 10,000 छात्रों को विदेश भेजने का काम करती है। गुजरात में इस रैकेट से जुड़े 1700 एजेंट सक्रिय हैं, जबकि पूरे भारत में 3500 एजेंटों का नेटवर्क है, जिनमें से 800 अभी भी सक्रिय हैं। जांच एजेंसी ने इन कॉलेजों की संलिप्तता की गहराई से जांच कर रही है।

ईडी ने क्या कहा?

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि इस रैकेट ने झूठे वादे करके भारतीयों से भारी रकम ठगे। यह न केवल मानव तस्करी का मामला है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी की गंभीर गतिविधियों का भी हिस्सा है। एजेंंसी ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कनाडाई कॉलेजों और भारत स्थित एजेंटों की संलिप्तता की गहराई से जांच की जा रही है। जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों के आधार पर अन्य संदिग्धों की पहचान की जा रही है।