दिल्ली हाई कोर्ट ने आतंकवाद रोधी यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किए गए एक कथित आईएस समर्थक को जमानत देते हुए कहा कि किसी आतंकवादी संगठन के प्रति आकर्षण का मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति उससे जुड़ा हो। कोर्ट ने कहा, ‘केवल ये कि शख्स के मोबाइल में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की तस्वीरें मिली, जिहाद को बढ़ावा देने वाले, आईएस के झंडे आदि सहित आपत्तिजनक सामग्री पाई गई…या फिर वह कट्टरपंथी/मुस्लिम प्रचारक के व्याख्यान सुन रहा था..ये सब उसे किसी आतंकवादी संगठन के सदस्य के रूप में साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।’
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश कैत और मनोज जैन की पीठ मामले में सुनवाई करते हुए यह बातें कही। पीठ ने कहा कि आरोपी अम्मार अब्दुल रहीमन के बारे में कहा जा सकता है कि वह ‘अत्यधिक कट्टरपंथी व्यक्ति’ था, जो आईएस विचारधारा में विश्वास करता था और अपने मोबाइल फोन पर कथित आपत्तिजनक सामग्री भी रखा रहा था, लेकिन ऐसा कुछ भी संकेत नहीं मिला कि उसने इन बातों को आगे फैलाने की कोशिश की थी।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी जिज्ञासु शख्स इंटरनेट से ऐसी सामग्री तक पहुंच सकता है और डाउनलोड कर सकता है, जो अपने आप में कोई अपराध नहीं है। कोर्ट ने रहीमन की जमानत की अर्जी स्वीकार करते हुए कहा, ‘आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में इस प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है और केवल इसे एक्सेस करना और यहां तक कि इसे डाउनलोड करना भी यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि उसने खुद को आईएस के साथ जोड़ लिया है।’
2021 में हुई थी अम्मार अब्दुल रहीमन की गिरफ्तारी
कोर्ट ने कहा कि हालांकि इस तरह का कृत्य किसी शख्स की मानसिकता के बारे में बता सकता है, लेकिन जब कानूनी रूप से कार्रवाई की बात होती है तो और पुख्ता सबूत होने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि वह शख्स ‘मध्य-पूर्व और इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित न्यूज’ को फॉलो कर रहा था या ‘कट्टरपंथी मुस्लिम उपदेशकों के नफरत भरे भाषणों को सुन रहा था’, यह नहीं माना जा सकता है कि वह किसी प्रतिबंधित आतंकी संगठन को आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था।
एनआईए ने यूएपीए कानून के तहत अम्मार अब्दुल रहीमन को 2021 में गिरफ्तार किया था। शख्स की जमानत की अर्जी निचली अदालत ने दिसंबर-2023 में ठुकरा दी थी। इसके बाद आरोपी शख्स ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था।
कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए यह भी साफ किया कि उसकी टिप्पणियां पूरी तरह से ‘जमानत पर निर्णय लेने’ के उद्देश्य से थीं और यह इस केस के मेरिट को लेकर उसका अंतिम विचार नहीं है।
इससे पहले एनआईए ने आरोप लगाया था कि रहीमन के मोबाइल फोन की जांच से पता चला कि उसने स्क्रीन-रिकॉर्डर का उपयोग करके इंस्टाग्राम से आईएसआईएस और आतंकी संगठन द्वारा किए गए क्रूर हत्याओं से संबंधित वीडियो डाउनलोड किए थे। एजेंसी ने साथ ही आगे आरोप लगाया था कि मोबाइल में ‘ओसामा बिन लादेन, जिहाद का प्रचार, आईएसआईएस के झंडे आदि’ की तस्वीरें भी थीं, जो आईएसआईएस के साथ ‘उसकी कट्टरपंथी मानसिकता और जुड़ाव को साबित करती हैं।’