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नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में जारी गतिरोध के बीच विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी के सांसद पहले ही इसके लिए नोटिस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। वैसे विपक्षी दलों के पास उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ पर महाभियोग चलाने के लिए सदन में पर्याप्त संख्या नहीं है, लेकिन वे राजनीतिक संकेत देने के लिए इस कदम पर विचार कर रहे हैं। ऐसे में राज्य सभा सभापति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का इस साल यह दूसरा प्रयास होगा।
इससे पहले अगस्त में संसद का बजट सत्र राज्यसभा में तनावपूर्ण माहौल में समाप्त हुआ था। उस दौरान भी विपक्ष उपराष्ट्रपति और सदन के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास या महाभियोग प्रस्ताव के लिए नोटिस सौंपने पर विचार कर रहा था।
बजट सत्र के दौरान सदन में धनखड़ और विपक्षी सांसदों के बीच कई दिनों तक नोकझोंक देखने को मिली थी। सत्र समाप्त होने से एक दिन पहले पेरिस ओलंपिक में पहलवान विनेश फोगाट की अयोग्यता पर सरकार की प्रतिक्रिया मांग रही विपक्ष के विरोध और नारेबाजी के बीच सभापति ने नाराज होकर सदन छोड़ दिया था।
उस समय विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि 80 से अधिक सांसदों ने उस नोटिस पर हस्ताक्षर कर दिया था जो धनखड़ के खिलाफ लाया जाना था। हालांकि, सत्र समाप्त होने के साथ विपक्ष ने नोटिस पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया
सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव...क्या है नियम?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 67 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव से पद से हटाया जा सकता है। लोकसभा को भी इस प्रस्ताव पर सहमति देनी होगी। हालांकि, प्रस्ताव को कम से कम 14 दिनों के नोटिस के साथ पेश किया जाना चाहिए।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास या महाभियोग प्रस्ताव पहले कभी भी सदन में नहीं लाया गया है। हालांकि, विपक्ष ने 2020 में जरूर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। वह भी एक तरह से आजाद भारत के इतिहास में पहला मौका था, जब उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।
उपसभापति के खिलाफ प्रस्ताव को अभिषेक सिंघवी और केटीएस तुलसी द्वारा तैयार किए गया था। प्रस्ताव का समर्थन करने वाली पार्टियों में कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सीपीएम, सीपीआई, राजद, आप, टीआरएस, एसपी, आईयूएमएल और केरल कांग्रेस (एम) शामिल थीं।
संविधान के अनुच्छेद 90 के अनुसार राज्यसभा के उपसभापति के रूप में पद धारण करने वाले सदस्य को एक प्रस्ताव द्वारा उनके कार्यालय से हटाया जा सकता है। इसके लिए प्रस्ताव को राज्य सभा में तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित कराना होता है। प्रस्ताव केवल तभी पेश किया जा सकता है जब इसकी जानकारी यानी कि इस संबंध में नोटिस कम से कम चौदह दिन का दिया गया हो।
उपराष्ट्रपति धनखड़ से मिलेंगे सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता
अविश्वास प्रस्ताव लाने की खबरों के बीच ये भी जानकारी सामने आई है कि राज्यसभा में मंगलवार को कार्यवाही प्रारंभ होने से ठीक पहले सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात का उद्देश्य सदन में जारी गतिरोध खत्म करना है।
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को भी संसद भवन स्थित अपने कक्ष में राज्यसभा में सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ संसद सदस्यों से मुलाकात की।
दरअसल, राज्यसभा में दोनों पक्षों के बीच हुई जबरदस्त नोकझोंक के कारण सोमवार को सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी। चीजों को पटरी पर लाने के लिए सभापति ने राज्यसभा में सदन के नेता और विपक्ष के नेता को मंगलवार सुबह मिलने के लिए आमंत्रित किया है। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक, सभापति के इस प्रस्ताव पर दोनों नेताओं ने सहमति जताई है।
इससे पहले सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उनके कक्ष में सदन के नेता और विपक्ष के नेता के बीच एक बैठक थी। इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सदन सुचारू रूप से चले। दोनों पक्ष और राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा, प्रमोद तिवारी और जयराम रमेश जैसे कुछ अन्य नेता भी मौजूद थे।
जगदीप धनखड़ ने कहा कि पक्ष और प्रतिपक्ष के नेता मंगलवार सुबह फिर से उनके कक्ष में मिलने के लिए सहमत हुए हैं। सभापति ने यह भी कहा कि वह सदन के सभी सदस्यों से अपील करेंगे कि सांसदों ने जो संविधान की शपथ ली है, उस पर ध्यान से विचार करें।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)