नई दिल्लीः भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक के बाद अर्धसैनिक बलों की छुट्टियां रद्द कर दी है। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रमुखों को आदेश दिया कि वे छुट्टी पर गए अपने सभी जवानों को तत्काल ड्यूटी पर वापस बुलाएं। यह कदम पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर उठाया गया है।
गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और सीआईएसएफ के अर्धसैनिक बलों के जवान पूरी सतर्कता के साथ ड्यूटी पर मौजूद रहें। इंटेलिजेंस इनपुट्स के आधार पर हाई अलर्ट जारी किया गया है। यूपी में भी रेड अलर्ट जारी किया गया है। महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने निर्देश दिया है कि सीमा क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। साथ ही, आपात स्थिति में नागरिकों को शरण देने के लिए सभी बंकर तैयार रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।
आतंरिक सुरक्षा की समीक्षा और सतर्कता का निर्देश
पीटीआई सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री ने देश की आंतरिक सुरक्षा स्थिति की भी समीक्षा की और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहने तथा हर गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखने को कहा। उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' को पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की बर्बर हत्या के खिलाफ भारत की कड़ी प्रतिक्रिया बताया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मोदी सरकार भारत और उसके नागरिकों पर किसी भी हमले का माकूल जवाब देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने का संकल्प ले चुकी है। गृह मंत्रालय के अनुसार, यह सैन्य कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह मापा-तौला और गैर-उकसावे वाला था। इसमें किसी पाकिस्तानी नागरिक, आर्थिक प्रतिष्ठान या सैन्य ढांचे को निशाना नहीं बनाया गया।
'भारत का जवाब देने का अधिकार'
विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि भारत ने यह कार्रवाई अपने जवाब देने, संभावित हमलों को रोकने और आतंकवाद के ढांचे को ध्वस्त करने के अधिकार के तहत की। इस दौरान पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी संगठनों जैसे बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के अड्डों को निशाना बनाया गया।
मिस्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस बयान का उल्लेख किया जिसमें पहलगाम हमले की निंदा करते हुए हमले के षड्यंत्रकर्ताओं, आयोजकों, वित्त पोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाने की जरूरत पर जोर दिया गया था।
उन्होंने कहा, "हमारी खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी मॉड्यूल्स की गतिविधियों पर नजर रखी और स्पष्ट संकेत मिले कि भारत पर और हमले हो सकते हैं। ऐसे में हमारी कार्रवाई रोकथाम और प्रतिकार दोनों के रूप में जरूरी थी।"