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नई दिल्लीः भारतीय सेना के महानिदेशक सैन्य अभियान (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने रविवार को प्रेस ब्रीफिंग में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विस्तृत जानकारी दी और इसे आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य सीमापार मौजूद आतंकी ढांचे को खत्म करना था, जिसमें सेना ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की।
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने बताया कि ऑपरेशन के तहत 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया और उनके कई लॉन्च पैड्स, प्रशिक्षण केंद्रों व हथियार भंडारों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा, “हमने आतंकवादी हमले का करारा जवाब दिया है। हमारे पास ठोस खुफिया और उपग्रह साक्ष्य हैं जो पुष्टि करते हैं कि आतंकवादी ठिकानों को सटीकता से ध्वस्त किया गया।”
इस ऑपरेशन में यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद जैसे तीन कुख्यात आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। ये आतंकी IC-814 विमान अपहरण, पुलवामा हमले और अन्य जघन्य घटनाओं में शामिल रहे हैं, और लंबे समय से भारतीय एजेंसियों को इनकी तलाश थी।
लेफ्टिनेंट जनरल घई के अनुसार, इस सैन्य कार्रवाई की योजना 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बनाई गई, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। इसके बाद खुफिया एजेंसियों ने सीमा पार मौजूद 9 सक्रिय आतंकी शिविरों की पहचान की।
उन्होंने बताया कि ये शिविर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित थे, जिनमें मुरीदके जैसे इलाके शामिल हैं—जो पहले अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे आतंकियों के अड्डे रहे हैं।
सेना द्वारा प्रस्तुत की गई सैटेलाइट तस्वीरों में ऑपरेशन से पहले और बाद के दृश्य स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं कि आतंकी ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है। डीजीएमओ ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने संघर्षविराम का उल्लंघन करते हुए गुरुद्वारों जैसे नागरिक स्थलों को निशाना बनाया, जो अंतरराष्ट्रीय युद्ध कानूनों का सीधा उल्लंघन है।
सीजफायर पर क्या बोले डीजीएमओ
सीजफायर को लेकर राजीव घई ने कहा कि शनिवार शाम 15:35 बजे मेरी पाकिस्तान के डीजीएमओ से बातचीत हुई, जिसके बाद 10 मई को शाम 17:00 बजे से दोनों ओर से सीमा पार गोलीबारी और हवाई घुसपैठ रोक दी गई। हमने 12 मई को दोपहर 12:00 बजे फिर से बातचीत करने का फैसला किया था ताकि युद्धविराम को स्थायी रूप देने के उपायों पर चर्चा की जा सके। लेकिन अफसोस, पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों में इस समझौते का उल्लंघन कर दिया—सीमा पार गोलीबारी और बीती रात व आज तड़के ड्रोन घुसपैठ के जरिए। इन उल्लंघनों का सख्ती से जवाब दिया गया है।
घई ने आगे बताया कि हमने आज सुबह एक और हॉटलाइन संदेश भेजकर पाकिस्तान को सूचित किया है कि 10 मई को हुए डीजीएमओ समझौते का गंभीर उल्लंघन हुआ है। हमने स्पष्ट कर दिया है कि यदि आज रात या उसके बाद फिर कोई ऐसा कदम उठाया गया, तो उसका जवाब बेहद कड़ा होगा। हमारे सेना प्रमुख ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तान के किसी भी उकसावे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए स्थानीय सैन्य कमांडरों को पूर्ण अधिकार दे दिए हैं।"
वायुसेना के हमलों से पाकिस्तान को भारी नुकसान
वहीं, भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी एयर मार्शल एके भारती ने प्रेस ब्रीफिंग में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने दुश्मन के आतंकी ठिकानों और सैन्य अवसंरचनाओं पर निर्णायक और प्रभावशाली कार्रवाई की है।
उन्होंने कहा, “क्या हम आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के अपने उद्देश्य में सफल हुए? इसका उत्तर है—‘हां’। और इसके परिणाम अब पूरी दुनिया के सामने हैं।”
पाकिस्तानी विमानों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पूछे गए सवाल पर एयर मार्शल भारती ने कहा, “हमने उनके विमानों को हमारी सीमा में घुसने से रोका। निश्चित रूप से कुछ विमानों को मार गिराया गया है और दुश्मन पक्ष को नुकसान पहुंचा है।”
एयर मार्शल ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना का उद्देश्य अधिकतम मानव हानि पहुंचाना नहीं था, बल्कि आतंकी और सैन्य ठिकानों को निष्क्रिय करना था। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य था कि दुश्मन के ढांचे और क्षमताओं को निष्प्रभावी बनाया जाए। कितने लोग हताहत हुए, यह गिनती करना हमारा काम नहीं है।”
भारतीय हमलों की रणनीति के बारे में उन्होंने बताया कि यह एक "त्वरित, समन्वित और सुनियोजित अभियान" था, जिसमें पाकिस्तान के पश्चिमी मोर्चे पर कई प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इनमें चकलाला, रफीक, रहीम यार खान, सरगोधा, भुलारी और जैकोबाबाद जैसे एयरबेस शामिल थे। एयर मार्शल ने कहा कि इन हमलों का उद्देश्य स्पष्ट संदेश देना था—“भारत अब किसी भी आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगा।”
उन्होंने अंत में कहा कि भारतीय वायुसेना के पास “हर दुश्मन प्रणाली और ठिकाने को लक्षित करने की क्षमता है,” और यह अभियान इसी रणनीतिक आत्मविश्वास का परिचायक था।