आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को कहा कि तिरुमाला में भगवान श्री वेंकटेश्वर के तिरुपति बालाजी मंदिर में केवल हिंदुओं को ही काम पर रखा जाना चाहिए। अन्य धर्मों के कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री नायडू के अपने पोते एन देवांश नायडू के जन्मदिन के अवसर पर मंदिर के दौरान यह टिप्पणी की गई। मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड द्वारा 'हिंदू धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने' वाले 18 कर्मचारियों को स्थानांतरित करने के लगभग दो महीने बाद आई है।

सीएम नायडू ने कहा, 'अन्य धर्मों के लोग, यदि वे अभी भी मंदिर में काम कर रहे हैं तो उन्हें सम्मानपूर्वक अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। यदि ईसाई या मुस्लिम हिंदू स्थानों पर काम करना जारी नहीं रखना चाहते हैं, तो उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाएगा और उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाएगा।'

होटल डेवलपर्स को आवंटित जमीन होगी रद्द

सीएम ने यह भी घोषणा की कि वह देवलोक, एमआरकेआर और मुमताज बिल्डर्स के होटल डेवलपर्स को तिरुपति में किए गए 35 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द कर रहे हैं। यह आवंटन पिछली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा किया गया था।

उन्होंने दावा किया कि यह कदम 'मंदिर नगर की पवित्रता की सुरक्षा' के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह कदम 'यहां लग्जरी होटलों के विकास के गंभीर विरोध' के बाद उठाया गया है।

राज्य के कई गांव में स्थानीय तौर पर भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर की मांग पर चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए धन जुटाने के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि सभी राज्यों की राजधानी में भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर बनाने का भी निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, 'हम जल्द ही इस उद्देश्य के लिए राज्य के सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखेंगे।'

फरवरी में 18 कर्मचारियों का हुआ था ट्रांसफर

1 फरवरी को तिरुमाला से बाहर स्थानांतरित किए गए 18 कर्मचारियों में से छह टीटीडी के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक थे। अन्य में एक उप कार्यकारी अधिकारी (कल्याण), एक सहायक कार्यकारी अधिकारी, एक सहायक तकनीकी अधिकारी (विद्युत), एक छात्रावास कर्मचारी, दो इलेक्ट्रीशियन और दो नर्स शामिल थे।

आदेश में कहा गया था कि 'भगवान वेंकटेश्वर के समर्पित सेवक के रूप में' सभी टीटीडी कर्मचारी 'सदियों से चली आ रही परंपराओं और मूल्यों को कायम रखते हुए और भक्तों की मान्यताओं और भावनाओं को देखते हुए' मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

यह आदेश टीटीडी द्वारा बोर्ड की बैठक में गैर-हिंदुओं को स्थानांतरित करने और राजनीतिक भाषणों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय के महीनों बाद आया था। बाद में बताया गया था कि सभी 18 लोगों को आपसी सहमति से तय पदों पर भेजा गया है और फिलहाल, तिरुमाला में किसी अन्य धर्म के कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं।