संभल: होली और जुम्मे की नमाज को लेकर शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने बुधवार को महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि होली के दिन 14 मार्च को जुम्मे की नमाज का समय 2:30 बजे निर्धारित किया गया है। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों से भाईचारे के साथ त्योहार मनाने की अपील की।
सदर जफर अली एडवोकेट ने दोनों समुदायों के लोगों से अपील करते हुए कहा कि होली और जुम्मे की नमाज को लेकर हमें भाईचारे का वातावरण बनाए रखना है। होली के रंग वाली जगह पर खड़े न हों, क्योंकि शरारती तत्व दोनों समुदायों में होते हैं। इसलिये रंग वाली जगहों पर न जाएं, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे। हमें इस पवित्र अवसर पर शांति और सौहार्द्र बनाए रखना चाहिए, ताकि दोनों समुदाय एक साथ मिलकर इन त्योहारों को धूमधाम से मना सकें।
कुछ मस्जिदों को तिरपाल से ढका गया
सदर जफर अली ने प्रशासन द्वारा मस्जिदों को तिरपाल से ढंकने के कदम पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह प्रशासन की एक अच्छी पहल है, क्योंकि पहले भी मस्जिदों को तिरपाल से ढंका गया था, और अब फिर से प्रशासन और पुलिस की तरफ से इस कदम को उठाया गया है। यह कदम मस्जिदों की सुरक्षा और सार्वजनिक शांति बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद शाही जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई का काम भी जल्द शुरू होने जा रहा है। जफर अली ने बताया कि गुरुवार से मस्जिद में रंगाई और पुताई का काम शुरू होगा, सबसे पहले गेट पर काम किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि होली के रंग की वजह से मस्जिद की पीछे की दीवारों पर तिरपाल लगा हुआ था, जिसे होली के बाद हटाया जाएगा और वहां पुताई का काम शुरू किया जाएगा। यह रंगाई-पुताई एएसआई टीम की देखरेख में की जाएगी और मस्जिद कमेटी के द्वारा कराई जाएगी।
'धार्मिक सद्भाव बनाए रखना उद्देश्य'
इन सबके बीच संभल जिले के खग्गू सराय स्थित लधनियों वाली मस्जिद पर तिरपाल लगाए जाने का कदम होली के जुलूस के मद्देनजर लिया गया है। प्रशासन ने बताया है इस पहल का मुख्य उद्देश्य आपसी सौहार्द और भाईचारे को बनाए रखना है, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे।
इस मस्जिद के साथ पहले भी रंगों को लेकर विवाद हो चुका है, जिस कारण प्रशासन और स्थानीय समुदाय ने सावधानी बरतते हुए यह कदम उठाया है।
मस्जिद के मौलवी ने स्पष्ट किया कि यह कोई दबाव का परिणाम नहीं है, बल्कि शांति बनाए रखने और आपसी समझ के तहत लिया गया निर्णय है। उन्होंने कहा, "हमने एहतियात के तौर पर मस्जिद को ढंकने का निर्णय लिया है, ताकि होली के रंग मस्जिद की दीवारों पर न लगें और किसी तरह की विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो। इस कदम का उद्देश्य केवल धार्मिक सद्भाव बनाए रखना है। हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच भाईचारा बना रहे, यही हमारा मुख्य उद्देश्य है। हम सब मिलकर शांति और सौहार्द्र के साथ रहते हैं।"
स्थानीय निवासी ने बताया कि इस क्षेत्र से हर साल होली के जुलूस निकलते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए तिरपाल लगाया गया है।
उल्लेखनीय है कि यह वही मस्जिद है, जहां पहले भी होली में रंग डाले जाने से विवाद हो चुका था। इस बार प्रशासन और समुदाय की ओर से यह कदम उठाकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि होली के जुलूस के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो और सभी समुदायों के बीच भाईचारा बना रहे।
इससे पहले, मंगलवार को शाहजहांपुर जिले की लगभग 67 मस्जिदों को तिरपाल से ढंक दिया गया था ताकि रंग न पड़े और माहौल न बिगड़े। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना था कि अगर मस्जिदों को तिरपाल से ढंक दिया जाता है तो उनके धार्मिक स्थल पर रंग नहीं पड़ेगा और इस तरह से माहौल शांतिपूर्ण रहेगा।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)