पुरी: लगभग 40 सालों में पहली बार पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (खजाना भंडार) को रविवार को खोला गया है। ओडिशा मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसकी पुष्टि की है।
इस भंडार को ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गठित एक उच्च स्तरीय समिति के मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने इसे खोलने की मंजूरी दी है।
मंदिर के भंडार को खोलने के लिए रविवार दोपहर एक बजकर 28 मिनट निर्धारित किया गया था। जगन्नाथ मंदिर से जुड़े पुजारियों ने इस समय को भंडार खोलने का उचित समय करार दिया था। रविवार को भंडार के खोले जाने से पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस महत्वपूर्ण आयोजन की सफलता पर दृढ़ विश्वास व्यक्त किया था।
कीमती सामानों की होगी डिजिटल लिस्टिंग
अधिकारियों के मुताबिक, सरकार ने रत्न भंडार में मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग कराने के लिए इसे खोला गया है। इस डिजिटल लिस्टिंग में उनके वजन और बनावट के समय को नोट किया जाएगा।
वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सुपरिटेंडेंट डीबी गडनायक ने कहा है कि मंदिर के रत्न भंडार को इंजीनियर्स द्वारा सर्वे भी किया जाएगा जो मरम्मत जैसे कामों को अंजाम देंगे।
खास किस्म के लाए गए हैं बक्से
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरबिंद पाधी ने कहा है कि मंदिर को खोलने में निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किया गया है। मंदिर को खोलने और कीमती सामानों को ट्रांसफर करने के लिए कुछ खास किस्म के बक्से लाए गए हैं। पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड रखने के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई है।
बता दें कि इससे पहले जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोलने को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया था। साल 2018 में जब भंडार को खोलने को कहा गया था तब उस समय भंडार की चाभी नहीं मिली थी। इस मुद्दे को भाजपा ने हाल में खत्म हुए लोकसभा चुनाव में भी उठाया था और सत्ताधारी बीजद की सरकार की आलोचना भी की थी।
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पिछली बार कब खुला था भंडार
रत्न भंडार को पहली बार 1905 में ब्रिटिश प्रशासन द्वारा निरीक्षण के लिए खोला गया था। इसके बाद सन 1926 में इसकी लिस्टिंग की गई थी। सन 1978 से पहले इसे फिर कभी नहीं खोला गया था। पिछली बार इस भंडार को सन 1985 में खोला गया था। इससे पहले साल 1978 में भंडार में मौजूद धन की लिस्ट बनाने के लिए इसे खोला गया था।
साल 2024 में इस भंडार को खोलने के पीछे उसमें जमा बेशकीमती आभूषण, रत्न और अन्य बहुमूल्य कलाकृतियां की डिजिटल लिस्टिंग की तैयारी है। मंदिर के भंडार खोलने से पहले आज सुबह “अग्न्या” पूजा भी किया गया था। इस पूजा के जरिए भगवान जगन्नाथ से मंदिर के भंडार को खोलने की इजाजत ली गई है।
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मंदिर के भंडार में किसने किया है प्रवेश
ओडिशा सरकार द्वारा नियुक्त किए गए 11 सदस्यों की समिति ने भंडार को फिर से खोलने के लिए जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश किया है। इस समिति में ओडिशा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बिश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, एएसआई अधीक्षक डीबी गडनायक और पुरी के नामधारी राजा गजपति महाराजा के एक प्रतिनिधि शामिल थे।
यही नहीं चार मंदिर सेवक खास कर पाटजोशी महापात्र, भंडार मेकप, चाधौकरण और देउलिकरन ने भी मंदिर में प्रवेश किया है।
इस तरह से खोला गया है रत्न भंडार
रत्न भंडार को खोलने और सूचीबद्ध करने के लिए तीन-चरणीय प्रक्रिया को फॉलो किया गया है। पहले चरण में बाहरी रत्न भंडार को खोला गया है। इसके बाद आंतरिक रत्न भंडार को खोला गया है और फिर कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग के लिए उन्हें एक अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में भी ट्रांसफर किया गया है।
आरबीआई अधिकारी भी हुए थे शामिल
मंदिर के रत्न भंडारों के डिजिटल लिस्टिंग पर बोलते हुए ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा है कि इस प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक का एक प्रतिनिधि भी शामिल होगा। यह प्रतिनिधि गहनों की तस्वीरें, वजन और अन्य विवरण के साथ एक डिजिटल कैटलॉग भी तैयार करेगा।
क्या है रत्न भंडार?
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के इस ऐतिहासिक खजाने में सदियों से भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए गए अमूल्य आभूषण, जवाहरात और अन्य कीमती कलाकृतियां शामिल है।
यह भंडार जगन्नाथ मंदिर के जगमोहन (प्रार्थना कक्ष) के बगल में स्थित है। इस भंडार में सदियों से भक्तों और राजाओं द्वारा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को चढ़ाया गया सोना और आभूषण मौजूद हैं।
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की है तीन श्रेणियां
मंदिर के रत्न भंडार को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में वह भंडार आता है जिसमें रखे गए कीमती सामानों को कभी इस्तेमाल नहीं किया जाता है और वह सालों से खजाने में इसी तरीके से रखा रहता है।
इस श्रेणी को भीतरी भंडार (आंतरिक कक्ष) कहते हैं और इसी में मंदिर में दान किए गए कीमती खजाने को रखा गया है। इसके बाद जो दूसरी श्रेणी है उसे बाहरी भंडार (बाहरी कक्ष) कहा जाता है।
इस श्रेणी में रखे गए खजाने को हर रोज इस्तेमाल किया जाता है। सबसे आखिर वाले श्रेणी में रथ यात्रा जैसे प्रमुख त्योहारों और विशेष अवसरों के लिए बेशकीमती सामान रखे गए हैं।
1978 की लिस्टिंग में ये थे कीमती सामान
साल 1978 में जब लिस्टिंग की गई थी तब मंदिर के रत्न भंडार के बाहरी भंडार में 87 सोने के गहने और 62 चांदी की कीमती वाले सामानों का लिस्ट तैयार किया गया था।
उस समय रत्न भंडार के भीतरी भंडार में 4364 भारी (50 किलोग्राम) सोना और 14,878 भारी (173 किलोग्राम) चांदी के साथ-साथ 367 सोने के सामान और 231 चांदी के सामान को लिस्ट किया गया था।
रत्न भंडार के भीतरी भंडार को सन 1985 में मरम्मत के लिए खोला गया था लेकिन उस समय कोई सूची नहीं बनाई गई थी।
रत्न भंडार और विवाद
बता दें कि साल 2018 में रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को खोलने का प्रयास किया गया था लेकिन वह फेल हो गया था क्योंकि भंडार का चाभी नहीं मिल रहा था। ऐसे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सदस्यों सहित 16 सदस्यीय टीम को केवल बाहर से ही कक्ष का निरीक्षण करना पड़ा था।
चाभियों के खो जाने को लेकर हुआ था विवाद
जून 2018 में पुरी जिला कलेक्टर ने मंदिर प्रबंध समिति को सूचित किया था कि रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष की चाभियां नहीं मिल रही है। कक्ष की चाभियां नहीं मिलने को लेकर उस समय इससे राजनीतिक विवाद भी पैदा हो गया था। इस मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने ओडिशा सरकार की आलोचना भी की थी।
पीएम मोदी ने भी चाभी का उठाया था मुद्दा
इस मुद्दे को लेकर ज्यादा विवाद पैदा होने पर ओडिशा सरकार ने न्यायिक जांच का आदेश भी दिया था और नवंबर 2018 में इसकी एक रिपोर्ट भी सामने आई थी लेकिन उसके निष्कर्ष को सार्वजनिक नहीं किया गया था। पीएम मोदी ने भी अपने 2024 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया भी था।
मंदिर की प्रबंध समिति से क्या कहा गया था
सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बिस्वनाथ रथ के नेतृत्व में समिति ने रत्न भंडार खोलने का फैसला लिया गया है। इसके लिए मंदिर की प्रबंध समिति से रत्न भंडार की चाभी मांगी गई है और कहा गया है कि चाहे चाभी काम करे या न करे उन्हें चाभी दिया जाना चाहिए। बता दें कि अभी ओडिशा में भाजपा की सरकार है।