इम्फालः मणिपुर हिंसा मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बड़ा खुलासा किया है। एनआईए के मुताबिक विद्रोही समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) ने प्रतिबंधित मैतेई संगठनों के कैडरों को भारत में घुसपैठ कराने में मदद की। उनका इरादा मणिपुर में मौजूदा जातीय अशांति का फायदा उठाकर राज्य को अस्थिर करना और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था।
कुकी-जो समुदाय के खिलाफ हिंसक हमले की साजिश रची थी
मणिपुर पुलिस ने पिछले साल जुलाई में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिनमें मुख्य आरोपी एम. आनंद सिंह, ए. काजीत सिंह, कीशम जॉनसन, एल. माइकल मंगांगचा और के. रोमोजीत मेइतेई शामिल थे। सुरक्षाकर्मियों की नकली वर्दी में ये आरोपी एक वाहन में यात्रा कर रहे थे। इन आरोपियों के खिलाफ जांच एजेंसी ने 7 मार्च को गुवाहाटी की अदालत में एक आरोप पत्र दायर किया था। आरोप पत्र के मुताबिक, एनएससीएन-आईएम ने प्रतिबंधित हथियारों और गोला-बारूद के जरिए प्रतिद्वंद्वी कुकी-जो समुदाय के खिलाफ हिंसक हमले की साजिश रची थी।
आरोपियों के कब्जे से पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए तीन हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गए थे। एनआईए ने बड़ी साजिश की जांच के लिए 19 जुलाई को सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और कानून की अन्य धाराओं के तहत एक नया मामला दर्ज किया था।
80-90 युवाओं को हथियार चलाने की प्रशिक्षण दिया गया
एनआईए ने कहा कि मुख्य आरोपी आनंद सिंह ने जातीय संघर्ष को बढ़ाने के लिए सशस्त्र प्रशिक्षण के लिए स्थानीय युवाओं को संगठित किया। इसके बाद वह जुलाई 2023 में पीएलए कैडरों द्वारा आयोजित एक हथियार प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुआ था। इस शिविर में आनंद सिंह ने करीब 80-90 युवाओं को हथियार चलाना सिखाया था।
एजेंसी ने कहा कि आरोपियों ने सरकारी स्रोतों से लूटे गए प्रतिबंधित हथियारों और गोला -बारूद के साथ कुकी समुदाय को निशाना बनाना चाहते थे। एनआईए ने कहा कि आरोपियों ने समुदायों के बीच नफरत और दुश्मनी फैलाने, चल रहे जातीय संघर्ष को बढ़ाने, देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा जारी निषेधाज्ञा आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन किया।
मणिपुर में 3 मई 2023 को भड़की थी हिंसा
3 मई, 2023 को मणिपुर में आदिवासी कुकी-जो लोगों और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़क उठी थी। जिसमें अब तक कम से कम 221 लोगों की जान चली गई है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। इस हिंसा में पुलिस शस्त्रागारों से 4,500 से अधिक हथियार लूटे गए। जिसमें से अब तक लगभग 1,800 हथियार बरामद किए जा चुके हैं।
केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि म्यांमार स्थित एनएससीएन-आईएम के “चीन-म्यांमार” मॉड्यूल ने आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए दो प्रतिबंधित आतंकी संगठनों- कांगलेई याओल कनबा लूप (केवाईकेएल) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर (पीएलएएम) को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कराने में मदद की थी।
भारत सरकार 1997 से एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता में लगी हुई है
गौरतलब है कि केंद्र सरकार 1997 से ही एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता में लगी हुई है। 1997 में भारत ने युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। और 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में समूह के साथ राजनीतिक समाधान खोजने के लिए एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समूह एक ‘ग्रेटर नागालैंड’ स्थापना की मांग करता है। जिसमें नागालैंड, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के सभी नागा-बहुल क्षेत्र शामिल हैं। एनएससीएन-आईएम दावा करता है कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से नागा लोगों का घर रहा है और उन्हें आत्मनिर्णय का अधिकार है। वे ग्रेटर नागालैंड को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखते हैं, जहाँ नागा लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को स्वतंत्र रूप से निर्धारित कर सकें।