संभलः रमजान से पहले शाही जामा मस्जिद के सौंदर्यीकरण की अनुमति मांगने के एक दिन बाद, संभल प्रशासन ने निर्देश जारी किया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की अनुमति के बिना कोई कार्य नहीं किया जाएगा।
रविवार को शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जफर अली ने बताया कि समिति ने औपचारिक रूप से एएसआई को पत्र लिखकर मस्जिद की सफाई, पेंटिंग और सजावट की अनुमति मांगी है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने स्पष्ट किया कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है और मस्जिद की जमीन एएसआई के अधिकार क्षेत्र में आती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पर निर्णय एएसआई को लेना है। जब तक वह अनुमति नहीं देता, तब तक किसी को भी इसमें कोई छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, "मुझे नहीं लगता कि ऐसे विवादित ढांचे को पेंट करने की जरूरत है। फिर भी, अंतिम निर्णय एएसआई को लेना चाहिए। प्रशासन की ओर से इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है।"
समिति ने परंपरा का हवाला देते हुए मांगी अनुमति
प्रबंधन समिति ने अपने पत्र में कहा है कि सदियों से मस्जिद की सफाई और सजावट रमजान से पहले की जाती रही है और इस पर कभी एएसआई ने आपत्ति नहीं जताई। हालांकि, इस बार शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए औपचारिक अनुमति लेने का फैसला किया गया। जफर अली ने दोहराया कि समिति की मंशा सिर्फ परंपरा को जारी रखने की है और उन्हें विश्वास है कि एएसआई अनुमति प्रदान करेगा।
गौरतलब है कि यह मुगलकालीन मस्जिद तब सुर्खियों में आई जब अदालत के आदेश पर कराए गए सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई।19 नवंबर 2024 को सिविल जज आदित्य कुमार की अदालत में संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किया गया था। इसी दिन अदालत ने रमेश सिंह राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया, जिन्होंने शाम को मस्जिद का सर्वेक्षण किया।
इसके बाद, 24 नवंबर की सुबह 7:30 बजे, जब कोर्ट कमिश्नर डीएम और एसपी की मौजूदगी में मस्जिद का दोबारा सर्वे करने पहुंचे, तो हिंसा भड़क उठी। इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
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मुख्य बिंदु:
- शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने एएसआई से मस्जिद की सफाई, पेंटिंग और सजावट की अनुमति मांगी, जो सदियों पुरानी परंपरा है।
- संभल प्रशासन ने स्पष्ट किया कि एएसआई की अनुमति के बिना कोई कार्य नहीं होगा, क्योंकि मामला अदालत में लंबित है।
- जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि मस्जिद की जमीन एएसआई के अधिकार क्षेत्र में है और अंतिम निर्णय वही लेंगे।
- मस्जिद उस समय चर्चा में आई जब अदालत के आदेश पर कराए गए सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें कई लोग घायल हुए।
- सर्वे की शुरुआत एक याचिका के आधार पर हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि वहां पहले हरिहर मंदिर स्थित था।