‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पीएम मोदी और ट्रंप के बीच नहीं हुई कोई बातचीत, जयशंकर ने मध्यस्थता की अटकलों को खारिज किया

 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। इस जवाबी कार्रवाई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सीमित सैन्य संघर्ष चला।

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लोकसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर।

नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच इस अभियान के दौरान कोई फोन कॉल नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच दोनों नेताओं के बीच कोई बातचीत दर्ज नहीं है।

जयशंकर ने इस बयान के साथ उन अटकलों पर भी विराम लगा दिया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान अंतरराष्ट्रीय दबाव की कोई भूमिका थी। उन्होंने दोहराया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर पूरी तरह अडिग है, खासकर जब आतंकवाद पाकिस्तान प्रायोजित हो।

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। इस जवाबी कार्रवाई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सीमित सैन्य संघर्ष चला। इस दौरान पाकिस्तान की ओर से ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिशें की गईं, लेकिन वे विफल रहीं। बाद में पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से संपर्क कर युद्धविराम की बात की, जिससे तनाव कम हुआ।

जयशंकर ने कहा, "पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था। हमारी सीमाएं लांघी गई थीं और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे।"

एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर पर क्या क्या कहा?

विदेश मंत्री ने 'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसलों का भी उल्लेख किया, जो पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए उठाए गए। 23 अप्रैल को कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता। इसके अतिरिक्त, अटारी एकीकृत जांच चौकी को तत्काल बंद किया गया।

एस जयशंकर ने यह भी बताया कि पाकिस्तानी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध भारत की व्यापक आतंकवाद-रोधी रणनीति के हिस्से के रूप में जारी रहेंगे और ये उपाय आतंकवाद के खतरे से निपटने की हमारी व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं। साथ ही, पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को 'पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा' (अवांछित व्यक्ति) घोषित किया गया और उच्चायोग की कुल कर्मचारी संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी।

'पाकिस्तान को दुनिया के सामने किया बेनकाब'

जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि भारत ने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन की भूमिका को बार-बार उजागर किया है और उसे कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की मुहिम सफल रही है। उन्होंने कहा, "भारत ने न केवल इस्लामाबाद के परेशान करने वाले इतिहास को उजागर किया, बल्कि उसका असली चेहरा दुनिया के सामने लाने में भी सफल रहा।"

उन्होंने बताया कि भारत ने विश्व नेताओं को आतंकवाद के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' नीति बताई और अपने बचाव के अधिकार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि "हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया है।"

जयशंकर ने यह भी जानकारी दी कि सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान समेत केवल तीन देशों ने ही 'ऑपरेशन सिंदूर' का विरोध किया, जो पाकिस्तान के अकेले पड़ने का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान में आतंकी हमले की कठोर शब्दों में निंदा की गई और आतंकवादियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया का अंत नहीं है। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद का जवाब 'ऑपरेशन सिंदूर' के साथ खत्म नहीं होगा। हम अपने नागरिकों और हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।" उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया।

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