नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म, अब 5वीं और 8वीं की परीक्षा में असफल छात्र नहीं होंगे अगले क्लास में प्रमोट

भारत में शिक्षा राज्य सरकारों का विषय है, इसलिए राज्यों को नीति पर फैसला लेने की स्वतंत्रता दी गई है।

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'No detention policy' ends, now students who fail in 5th and 8th exams will not be promoted to the next class

प्रतीकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है। इस फैसले के तहत अब कक्षा पांच और आठ की वार्षिक परीक्षा में असफल छात्रों को फेल किया जाएगा। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के फैसले की जानकारी दी है।

'नो डिटेंशन पॉलिसी' खत्म होने के बाद कक्षा पांच और आठ की वार्षिक परीक्षा में असफल छात्रों को फेल किया जाएगा। फेल छात्रों को दो महीने के भीतर पुन: परीक्षा का अवसर मिलेगा और इसमें भी फेल होने पर उन्हें अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया जाएगा। किसी भी छात्र को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों समेत तीन हजार से अधिक केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में नया नियम लागू होगा।

यह निर्णय आधिकारिक अधिसूचना के रूप में जारी किया गया है, जो 2019 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई-RTE) अधिनियम में किए गए संशोधन को रद्द करता है।

स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने क्या कहा है

सोमवार को संजय कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि आज हमने यह निर्णय लिया है कि पांचवीं और आठवीं में प्रयास करने के बाद भी डिटेंशन की जरूरत पड़े तो उसी के बाद डिटेन किया जाए। इसमें यह भी प्रावधान किया है आठवीं कक्षा तक के स्कूलों से बच्‍चों को निष्कासित नहीं किया जाए।

कुमार ने आगे कहा, "हम चाहते हैं कि हर एक बच्चे के अंदर सीखने की इच्छा बढ़े और इसको प्रयास में लाने के लिए उन बच्चों पर ध्यान दिया जाएगा, जो पढ़ाई में किसी कारणवश अच्छे नहीं है। इसलिए उन पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा। रूल में बदलाव आने के बाद यह संभव हो पाएगा और बच्चों में सीखने की लगन बढ़ेगी।"

16 राज्यों ने "नो-डिटेंशन पॉलिसी" को पहले ही कर दिया है खत्म

केंद्र सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों, जैसे दिल्ली, ने पहले ही 2019 के संशोधन के बाद कक्षा पांच और आठ के लिए "नो-डिटेंशन पॉलिसी" को खत्म कर दिया था। हालांकि, हरियाणा और पुडुचेरी जैसे कुछ राज्यों ने अभी इस पर फैसला नहीं लिया है, जबकि कुछ राज्यों ने इसे बनाए रखने का निर्णय लिया है।

भारत में शिक्षा का मुख्य विषय राज्य सरकारों का है, इसलिए सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि राज्यों को इस नीति के बारे में अपना फैसला लेने की स्वतंत्रता होगी, ताकि इसका क्रियान्वयन अधिक लचीला रहे।

साल 2018 में आरटीई कानून में संशोधन के लिए विधेयक हुआ था पारित

साल 2018 में यह मुद्दा उठाया गया था कि 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म किया जाए। जुलाई 2018 में लोकसभा ने आरटीई कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया, जिसका उद्देश्य कक्षा पांच और आठ में नियमित परीक्षाओं की शुरुआत करना और असफल छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका देना था।

वर्ष 2019 में राज्यसभा ने इस संशोधन विधेयक को मंजूरी दी, जिससे कक्षा आठ तक की 'नो डिटेंशन पॉलिसी' समाप्त कर दी गई, ताकि छात्रों की पढ़ाई में सुधार हो सके। इस बदलाव ने राज्य सरकारों को यह विकल्प दिया कि वे इस नीति को जारी रखें या समाप्त करें, और कक्षा पांच और आठ के छात्रों को असफल होने पर उसी कक्षा में रोकने का प्रावधान रखा गया।

(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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