नई दिल्ली: हाल ही में पाकिस्तान द्वारा रिहा किए गए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम कुमार शॉ ने सीमा पार कैद में तीन हफ्ते से ज्यादा का समय बिताया। ये दिन उनके लिए काफी कष्टदायक रहे। पाकिस्तान की कैद में रहते हुए बीएसएफ जवान को कई तरह की यातनाएं दी गई और टॉर्चर किया गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बीएसएफ के जवान ने अनजाने में उस समय पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर ली थी, जब वह एक पेड़ के नीचे छाया की तलाश में था। उसे पहलगाम में आतंकी हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को पाकिस्तानी रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया। दोनों पक्षों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के कारण उसे वापस लाने के प्रयास लगातार चुनौतीपूर्ण होते जा रहे थे। भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई और कई दिनों तक स्थिति अनिश्चित बनी रही।
आखिरकार, हाल में 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बनी। इसके चार दिन बाद 14 मई को शॉ को पाकिस्तान ने रिहा कर दिया। इससे जवान का परिवार भी अब राहत महसूस कर रहा है। भारत वापस लौटने के तुरंत बाद शॉ अपने परिवार के पास भी पहुंचे और पाकिस्तान की हिरासत में उन्हें क्या-क्या झेलना पड़ा, इस बारे में भी बताया।
जासूस की तरह व्यवहार, पूछताछ के दौरान बरती गई कड़ाई
रिपोर्ट के अनुसार शॉ ने अपनी पत्नी रजनी को बताया कि पाकिस्तान में हिरासत के दौरान उन्हें शारीरिक रूप से कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया, लेकिन उन्हें मानसिक रूप से बहुत ज्यादा दबाव में रखा गया। कथित तौर पर उन्हें बाथरूम और नींद जैसी बुनियादी जरूरतों से भी वंचित रखा गया।
रजनी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'उन्हें नियमित रूप से भोजन दिया जाता था। लेकिन उन्हें दांत ब्रश करने की अनुमति नहीं थी। जब वह बोल रहे थे, तो वह बहुत थका हुए लग रहे थे और उन्होंने बताया कि उन्हें नींद नहीं आ रही है।'
40 वर्षीय शॉ ने अपनी पत्नी को बताया कि 21 दिनों तक पाकिस्तानी हिरासत में रहने के दौरान उनके साथ बीएसएफ जवान से ज्यादा जासूस जैसा व्यवहार किया गया। उन्हें तीन अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया - जिनमें से एक, उनका मानना है कि एयरबेस के नजदीक था, क्योंकि वे ऊपर विमानों की आवाज सुन सकते थे। एक बार तो उन्हें जेल की कोठरी में भी रखा गया था। शॉ को जब-जब एक जगह से किसी दूसरी जगह ले जाया जाता था, अक्सर उनकी आंखें बांधी जाती थी।
बीएसएफ और सीनियर अधिकारियों के बारे में पूछताछ
इंडिया टुडे के अनुसार सरकारी सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने सादे कपड़ों में शॉ से पूछताछ की। उनसे सीमा पर बीएसएफ की तैनाती के बारे में बार-बार सवाल पूछे गए और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात वरिष्ठ अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी गई।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने शॉ पर कॉन्टैक्ट डिटेल्स भी साझा करने का दबाव बनाया। हालांकि, शॉ के पास पकड़े जाने के समय मोबाइल फोन नहीं था, इसलिए BSF प्रोटोकॉल के अनुसार, वह उन्हें कोई भी नंबर नहीं दे सके।
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले शॉ BSF की 24वीं बटालियन में हैं। हाल ही में उन्हें पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनात किया गया था, जो पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। वह सीमा पर किसानों को ले जा रहे थे, इसी दौरान वे गलती से पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए।
बीएसएफ का पंजाब फ्रंटियर भारत-पाकिस्तान सीमा पर 553 किलोमीटर लंबे क्षेत्र की सुरक्षा देखता है। इसमें 518 किलोमीटर भूमि सीमा और 33 किलोमीटर नदियों और अन्य जलमार्गों के साथ लगती सीमा शामिल है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार जवान की औपचारिक जांच की गई और बताया गया है कि उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति स्थिर है। प्रोटोकॉल के अनुसार, पाकिस्तानी हिरासत में रहने के दौरान उसने जो कपड़े पहने थे, उसकी भी जांच की गई और उन्हें नष्ट कर दिया गया।
भारत-पाकिस्तान तनाव की वजह से हुई वापसी में देरी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बीएसएफ सूत्रों ने बताया कि सामान्य परिस्थितियों में, शॉ को उसी दिन या अगले दिन वापस सौंप दिया जाता। हालांकि, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण स्थिति जटिल हो गई। दोनों देशों के बीच निर्धारित फ्लैग मीटिंग में भी देरी हुई।
सूत्रों के अनुसार जब भी भारतीय अधिकारियों ने जवान की वापसी के लिए दबाव बनाने की कोशिश की, तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने एक ही बात दोहराई कि वे अपने उच्च अधिकारियों के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।