जदयू ने मणिपुर में भाजपा सरकार से समर्थन लिया वापस...क्या संदेश देना चाहते हैं नीतीश कुमार?

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव है। ऐसे में नीतीश कुमार के पलटी मारने के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए कई तरह के कयास लगने लगे हैं।

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Nalanda : Prime Minister Narendra Modi and Bihar CM Nitish Kumar during the inauguration of the new campus of Nalanda University

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार (IANS)

इंफाल: नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए मणिपुर में एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। ऐसे में अब मणिपुर में जदयू का एकमात्र विधायक विपक्ष में बैठेगा।

हालांकि जदयू के इस कदम से मणिपुर में सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है, लेकिन माना जा रहा है कि इस फैसले से नीतीश कुमार संभवत: कोई कड़ा संदेश भाजपा को देना चाहते हैं। बिहार में भी इसी साल के आखिर में चुनाव है।

जदयू अभी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सहित बिहार में भी बीजेपी की प्रमुख सहयोगी है। जदयू के मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लेने से कुछ महीने पहले कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पिपल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। एनपीपी अभी मेघालय में सत्ता में है।

मणिपुर में जदयू ने जीती थी छह सीटें

मणिपुर में 2022 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने छह सीटें जीती थी। हालांकि, चुनाव के कुछ महीनों बाद ही पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इससे सत्तारूढ़ दल की संख्या मजबूत हो गई। 60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के 37 विधायक हैं।

भाजपा सरकार को नागा पीपुल्स फ्रंट के पांच विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। इस लिहाज से सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है।

बहरहाल, मणिपुर की जदयू इकाई के प्रमुख केस बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर ताजा घटनाक्रम की जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि जदयू के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को सदन में अब विपक्षी विधायक के तौर पर देखा जाना चाहिए।

जदयू ने राज्यपाल को लिखे पत्र में क्या कहा है?

मणिपुर के जदयू प्रमुख ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को लिखे पत्र में कहा है, 'फरवरी/मार्च, 2022 में मणिपुर विधानसभा के लिए हुए चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) द्वारा खड़े किए गए छह उम्मीदवार जीत कर वापस आए। कुछ महीनों के बाद, जनता दल यूनाइटेड के पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए। पांचों विधायकों के खिलाफ भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत मामला स्पीकर ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है। जनता दल (यूनाइटेड) के इंडिया ब्लॉक का हिस्सा बनने के बाद, पार्टी ने माननीय राज्यपाल, सदन के नेता (मुख्यमंत्री) और अध्यक्ष के कार्यालय को सूचित करके भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।'

पत्र में आगे कहा गया है, 'इस तरह, मणिपुर में जनता दल (यूनाइटेड) के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर के बैठने की व्यवस्था विधानसभा के आखिरी सत्र में विपक्षी बेंच में स्पीकर द्वारा की गई है।'

आगे लिखा गया है, 'इसलिए यह दोहराया जा रहा है कि जनता दल (यूनाइटेड), मणिपुर इकाई मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का समर्थन नहीं करती है, और हमारे एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को सदन में विपक्षी विधायक के रूप में माना जाए।'

नीतीश कुमार फिर पलटी तो नहीं मारेंगे?

पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में 12 सीटें जीतने वाली नीतीश कुमार की जदयू अभी केंद्र में भाजपा की प्रमुख सहयोगियों में से एक है। स्थिति ऐसी है कि भाजपा के लिए लोकसभा में बहुमत हासिल करने में अभी जदयू की भी अहम भूमिका है।

इसके अलावा भाजपा और जदयू बिहार में भी सहयोगी हैं। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस लिहाज से मणिपुर में जदयू के रूख से भाजपा के सामने कई सवाल जरूर खड़े होने जा रहे हैं। हाल में महाराष्ट्र चुनाव में एकनाथ शिंदे को दरकिनार कर देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद उसी तर्ज पर बिहार में भी भाजपा के आगे बढ़ने की चर्चा चली थी। उस दौरान भी जदयू की ओर से कुछ बयानबाजी बिहार में देखने को मिली थी।

वैसे भी जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ वर्षों में इस खेमे से उस खेमे में रातों-रात पाला बदलने के लिए मशहूर हुए हैं। लोक सभा चुनाव से ही कुछ महीने पहले नीतीश भाजपा के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में लगे थे और फिर अचानक पिछले साल एनडीए में लौट आए थे।

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