शारीरिक और राजनीतिक कद राहुल गांधी के बराबर नहीं ऐसे में...नितेश राणे पर कांग्रेस नेता का आपत्तिजनक बयान

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, जब ये नेता कांग्रेस में थे, तो राहुल गांधी की तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन पार्टी छोड़ते ही वे राहुल गांधी की आलोचना करने लगे।

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Photograph: (IANS)

महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने शनिवार को राज्य के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राणे का राजनीतिक कद और समझ उतनी ही सीमित है जितनी उनकी हैसियत।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में वडेट्टीवार ने कहा, “जब ये नेता कांग्रेस में थे, तो राहुल गांधी की तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन पार्टी छोड़ते ही वे राहुल गांधी की आलोचना करने लगे। इससे स्पष्ट है कि जैसे ही लोग पाला बदलते हैं, उनकी भूमिका और बयान भी बदल जाते हैं। खैर, उन्हें अपनी राजनीति करने दीजिए। हम जनता के मुद्दों पर पहले भी आवाज उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे।”

'नितेश राणे को राहुल गांधी पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं'

वडेट्टीवार ने कहा, “नितेश राणे का न तो कद और न ही अनुभव इस लायक है कि वे राहुल गांधी जैसे राष्ट्रीय नेता पर टिप्पणी करें। न वे शारीरिक रूप से उनके बराबर हैं और न ही राजनीतिक दृष्टि से। इसलिए उन्हें कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि वे हमारे नेता के खिलाफ बोलें।”

उन्होंने राणे को सलाह दी कि किसी भी मुद्दे पर बयान देने से पहले सोचें और संयम बरतें। वडेट्टीवार ने कहा कि मंत्री बन जाना अच्छी बात है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि आप सीमाएं लांघते चले जाएं।

'सत्ता आती-जाती है, घमंड स्थायी नहीं होता'

वडेट्टीवार ने चेताते हुए कहा, “सत्ता किसी की स्थायी नहीं होती। आज आपके पास मंत्री पद है, तो उसका उपयोग राज्य के विकास के लिए करें, न कि अनर्गल बयानबाजी के लिए। आसमान के तारे नहीं, जमीन पर विकास करें।”

शनि शिंगणापुर मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाए जाने पर पूछे गए सवाल पर वडेट्टीवार ने कहा, “यह कहना गलत है कि केवल मुस्लिमों को हटाया गया है। मेरी जानकारी के अनुसार कुल 176 कर्मचारियों को हटाया गया है, जिनमें विभिन्न समुदायों के लोग शामिल हैं।”

हालांकि, उन्होंने महाराष्ट्र सरकार की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा, “यह सरकार जनता के असल मुद्दों से पूरी तरह भटकी हुई है। इसके क्रियाकलापों से यह साफ़ प्रतीत होता है कि यह केवल हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति तक सीमित रह गई है, जो मौजूदा दौर में किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हो सकती।”

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