नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से सासंद के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति मांगी है। सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तन्वीर ने अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखा है।
गौरतलब है कि बीती 19 अप्रैल को निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर निंदनीय टिप्पणी की थी। दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ को लेकर की चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को सवाल उठाया था।
इस दौरान दुबे ने यह भी कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट कानून बनाएगी तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। इस दौरान दुबे ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह देश में हो रहे 'गृह-युद्धों' के जिम्मेदार हैं।
वकील ने क्या कहा?
अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में अनस तनवीर ने कहा कि दुबे की टिप्पणी "बेहद अपमानजनक और खतरनाक रूप से भड़काऊ" है।
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में लिखा था "मैं यह पत्र न्यायालय की अवमानना अधिनियम- 1971 की धारा 15(1)(बी) के साथ सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना के लिए कार्यवाही को विनियमित करने के नियम, 1975 के नियम 3(सी) के तहत झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से माननीय लोकसभा सदस्य श्री निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी सहमति मांगने के लिए लिख रहा हूं क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान दिए हैं जो बेहद निंदनीय, भ्रामक हैं और जिनका उद्देश्य भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा और अधिकार को कम करना है।"
भाजपा ने किया किनारा
हालांकि दुबे के इस बयान से भारतीय जनता पार्टी ने किनारा कर लिया है। इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट लिखा "भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है।"
दुबे ने यह टिप्पणी केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वासन देने के बाद आई है जिसमें सरकार ने कहा था कि वक्फ संशोधन अधिनियम के विवादित प्रावधानों को अगली सुनवाई तक लागू नहीं करेगा।
इसके साथ ही इस पोस्ट में आगे लिखा कि "भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।"