निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका पर फिर साधा निशाना! कहा- बिना कानून की पढ़ाई के CJI बन गए थे एक जज

पूर्व सीजेआई कैलाश नाथ वांचू वाले ट्वीट के बाद निशिकांत दुबे ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर एक हाईकोर्ट के रिटायर जज को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने को लेकर निशाना साधा। 

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नई दिल्लीः न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश पर हालिया टिप्पणी को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे चर्चाओं में हैं। विपक्ष ने उनके बयान को जहां अपमानजनक बताया तो वहीं उनकी पार्टी भाजपा ने इससे किनारा कर लिया। इस बीच उन्होंने एक और ट्वीट किया है जिसकी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। इस ट्वीट में भाजपा सांसद ने देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश कैलाशनाथ वांचू का जिक्र किया है।

निशिकांत ने पोस्ट में लिखा, "क्या आपको पता है कि 1967-68 में भारत के मुख्य न्यायाधीश कैलाश नाथ वांचू जी ने कानून की कोई पढ़ाई नहीं की थी?" 

जस्टिस केएन वांचू: इकलौते ICS अधिकारी जो भारत के मुख्य न्यायाधीश बने

25 फरवरी 1903 को मध्य प्रदेश के मंदसौर में जन्मे वांचू अपने परिवार में पहले न्यायाधीश थे और बाद में वे भारत के दसवें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बने। वे भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) से सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष पद तक पहुंचने वाले एकमात्र अधिकारी रहे। हालांकि उन्होंने कभी कानून (लॉ) की औपचारिक शिक्षा नहीं ली, लेकिन आईसीएस ट्रेनिंग के दौरान मिले आपराधिक कानून के ज्ञान से उन्होंने न्यायिक करियर की शुरुआत की। 1924 में आईसीएस परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में दो साल तक ट्रेनिंग ली थी।

1926 में वे भारत लौट आए और संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) में सहायक मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के रूप में काम शुरू किया। 1937 में वे सत्र व जिला न्यायाधीश बने। 1947 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का कार्यवाहक जज नियुक्त किया गया और दस महीने बाद स्थायी पद मिल गया। इसके चार साल बाद (1951 में) वे भाग 'बी' राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। वहीं 1956 के राज्य पुनर्गठन के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करते रहे।

सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्वर के अनुसार, वांचू 11 अगस्त 1958 को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए। इसके बाद  24 अप्रैल 1967 को उन्हें देश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसकी कहानी भी दिलचस्प रही। दरअसल 1967 में सीजेआई के. सुब्बा राव ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए अचानक इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वांचू देश के 10वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का मौका मिला। उन्होंने इस पद पर केवल दस महीने तक सेवा की। 24 फरवरी, 1968 को सेवानिवृत्त हो गए। गौरतलब बात है कि सर्वोच्च न्यायालय में रहते हुए, सीजेआई वांचू ने 355 निर्णय लिखे और 1,286 पीठों का हिस्सा रहे। उन्हें 326 निर्णयों में उद्धृत किया गया है। वांचू मुख्यतः श्रम, संवैधानिक और संपत्ति कानून से जुड़े मामलों में सक्रिय रहे।

रिटायर जज को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का जज बना दियाः निशिकांत

कैलाश नाथ वांचू वाले ट्वीट के बाद निशिकांत दुबे ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर एक हाईकोर्ट के रिटायर जज को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा,  बहरुल इस्लाम ने 1951 में कांग्रेस जॉइन की। 1962 और 1968 में दो बार राज्यसभा भेजे गए। फिर बिना इस्तीफ़ा दिलवाए 1972 में हाईकोर्ट के जज बना दिए गए। 1979 में असम हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने, 1980 में रिटायर हुए। लेकिन कांग्रेस ने दिसंबर 1980 में सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया।

भाजपा सांसद ने आगे लिखा कि 1977 में इंदिरा गांधी के भ्रष्टाचार के सभी केस ‘तन्मयता’ से निपटाए और इनाम मिला—1983 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होते ही तीसरी बार राज्यसभा भेज दिया गया। अब आप ही बताइए—क्या मैं चुप रहूं?

बयानों को लेकर विवादों में निशिकांत दुबे

यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की हो। इससे पहले भी वे सुप्रीम कोर्ट और उसके फैसलों पर सवाल उठा चुके हैं, जिन पर उन्हें तीखी आलोचना झेलनी पड़ी। 

भाजपा सांसद ने अपनी टिप्पणी वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई को लेकर की थी। दुबे ने न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद को बंद कर देना चाहिए।” उन्होंने इसके बाद मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लेकर टिप्पणी की थी जिसमें कहा कि देश में सारे गृहयुद्ध के लिए वे ही जिम्मेदार हैं। उनके इन बयानों ने सियासी हलकों में तूफान खड़ा कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। उनके खिलाफ अवमानना का याचिका दायर किया गया है जिसपर अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

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