NIA तहव्वुर राणा की हिरासत के लिए कर रही अंतिम मंजूरी का इंतजार

तहव्वुर राणा साल 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमलों का साजिशकर्ता है। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। राणा को अमेरिका से भारत वापस लाने के लिए बीते दिनों अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है।

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नई दिल्लीः पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26/11 को हुए आतंकवादी हमले में शामिल तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी। इससे पहले अमेरिकी अदालत ने भी उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की टीम राणा की हिरासत के लिए तैयार है। एनआईए की टीम  अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही है। 

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि भारत सरकार की तरफ से राणा के प्रत्यर्पण से जुड़े दस्तावेजों का सेट अमेरिका को भेजा गया है। इसमें सूचित किया गया है कि अमेरिकी विदेश विभाग राज्य सचिव के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है ताकि आत्मसमर्पण वारंट जारी किया सके। इस वारंट की जरूरत एक भगोड़े अपराधी को विदेशी राज्य में आत्मसमर्पण करने की होती है। 

एनआईए की तीन सदस्यीय टीम

एनआईए की टीम में तीन सदस्यीय होगी जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर जनरल (महानिरीक्षक) रैंक के अधिकारी करेंगे। इसके साथ ही डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (उपमहानिरीक्षक) रैंक के अधिकारी भी शामिल होंगे। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एनआईए  की तीन सदस्यीय टीम के साथ तीन अन्य अधिकारी भी राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका जाएंगे। 

राणा फिलहाल अमेरिका की लॉस एंजेल्स जेल में बंद है। उसका संबंध लश्कर-ए-तैयबा के साथ माना जाता है। राणा पर आरोप है कि उसने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में डेविड कोलमैन की मदद की थी। डेविड कोलमैन 26 नवंबर को हुए हमलों का मुख्य साजिशकर्ता है। इस आतंकवादी हमले में 166 लोगों ने जान गंवाई थी। 

राणा के वकील ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में उसके प्रत्यर्पण की मांग को खारिज करने के लिए समीक्षा याचिका दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। 

पीएम मोदी के साथ बैठक के बाद ट्रंप ने क्या कहा?

वाशिंगटन में पीएम मोदी के साथ हुई बैठक के बाद ट्रंप ने कहा था कि अमेरिकी प्रशासन ने 2008 के मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं में से एक के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी  है। वह न्याय का सामना करने वापस भारत जा रहा है। इसके साथ ही ट्रंप ने कहा था कि आगे भी बहुत कुछ करना है क्योंकि हमारे पास बहुत सारे अनुरोध हैं। इसलिए हम भारत के साथ अपराध पर काम कर रहे हैं और हम इसे भारत के लिए और अच्छा बनाना चाहते हैं। 

पीएम मोदी ने इस दौरान कहा था कि भारत और अमेरिका आतंकवाद के विरुद्ध साथ में खड़े रहेंगे। राणा के प्रत्यर्पण के लिए पीएम मोदी ने ट्रंप का आभार भी व्यक्त किया था।

बीते सात महीनों में भारत ने राणा की हिरासत के काफी प्रयास किए हैं। इसके लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ-साथ अन्य विभागों के अधिकारियों ने अमेरिकी दूतावास में अपने समकक्ष अधिकारियों से बैठक की है।

2011 में आरोप पत्र दाखिल

एनआईए ने साल 2011 में राणा समेत नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में दिल्ली की एक सत्र अदालत ने साल 2014 में इन लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए थे। इन लोगों को एनआईए ने भगोड़ों के रूप में सूचीबद्ध किया था। 

बीते साल अगस्त में कैलिफोर्निया की एक अदालत ने फैसला सुनाया था भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा का प्रत्यर्पण भारत को किया जा सकता है। 

राणा और हेडली ने एक ही स्कूल से की है पढ़ाई

तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल से पढ़ाई की थी। इस स्कूल में डेविड हेडली ने भी पांच साल तक पढ़ाई की थी। राणा ने पाकिस्तानी सेना में बतौर डॉक्टर काम किया और वह कनाडा चला गया। बाद में उसे कनाडा की नागरिकता भी मिल गई।

इसके बाद राणा ने शिकागो में फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेस नाम से एक कंसल्टेंसी फर्म बनाई। इस फर्म की एक शाखा मुंबई में भी थी। इसी ने डेविड हेडली को मुंबई में हमले के लिए जगहों के निर्धारण और निगरानी के लिए आर्थिक मदद की थी। 

डेविड हेडली एक अमेरिकी नागरिक है। उसकी मां अमेरिकी हैं जबकि पिता पाकिस्तानी हैं। उसे अमेरिकी अधिकारियों द्वारा साल 2009 में गिरफ्तार किया गया और मुंबई हमलों में शामिल होने के लिए 35 साल की सजा सुनाई गई थी। 

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