यूपी में आवारा मवेशियों की सुरक्षा के लिए नई पहल, रिफ्लेक्टिव पट्टियां लगाकर दुर्घटनाओं से बचाव शुरू

इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि परियोजना की सफलता में बहुत हद तक ग्रामीणों का योगदान है।

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New initiative started in UP for the safety of stray cattle, prevention from accidents by installing reflective strips

प्रतीकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा मवेशियों की सुरक्षा के लिए एक नई पहल शुरू की है। सरकार अब जानवरों की गर्दन और सींगों के चारों ओर चमकदार फ्लोरोसेंट पट्टियां लगा रही है।

इन चमकती पट्टियों से गाड़ी चलाने वालों को रात के समय सड़क पर चल रहे जानवरों का पता चलता है, जिससे जानवरों की सुरक्षा बढ़ती है और दुर्घटनाओं से बचाव हो सकता है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना सफल रही है, लेकिन अभी तक इसके असर की पुष्टि करने वाले कोई आंकड़े नहीं आए हैं।

इस पहल को सबसे पहले उत्तर प्रदेश की पीलीभीत में शुरू की गई थी। यह फ्लोरोसेंट रिफ्लेक्टिव पट्टियां बरेली-हरिद्वार NH-74, पीलीभीत-बस्ती NH-730, और भिंड-लिपुलेख NH-731 जैसे तीन प्रमुख राजमार्गों पर और इसके आसपास घूम रहे आवारा मवेशियों पर लगाई गई हैं।

इन राजमार्गों पर कुल 450 आवारा बैलों पर प्रति पशु 400 रुपए की लागत से यह रिफ्लेक्टिव टेप लगाए गए हैं। परियोजना का मुख्य उद्देश्य जानवरों की दृश्यता बढ़ाना है, खासकर उन काले रंग के जानवरों की, जिन्हें रात के समय पहचानना मुश्किल हो जाता है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में आवारा मवेशियों का मुद्दा एक गंभीर समस्या बन गया है। राज्य में अनुमानित 15 लाख आवारा जानवर हैं, जिनमें से 12 लाख जानवरों को आश्रय स्थलों में रखा गया है।

यूपी में आवारा मवेशियों को बचाने के लिए परियोजना पर ग्रामीण भी कर रहे हैं काम

इस परियोजना की सफलता में ग्रामीणों का भी अहम योगदान है, जिन्होंने न केवल इस पहल का समर्थन किया, बल्कि इसके वित्तपोषण में भी मदद की। हालांकि, परियोजना पर काम करने वाली टीमों को कई और समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है।

टीम के पास सुरक्षात्मक गियर और जानवरों को शांत करने के उपकरणों की कमी है, जिससे पट्टी लगाते समय जानवरों को नियंत्रित करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं।

उचित सुरक्षा उपायों के बिना परियोजना आगे बढ़ाना मुश्किल-सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी

इस प्रयास का नेतृत्व कर रहे सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि परियोजना की सफलता में बहुत हद तक ग्रामीणों का योगदान है। उन्होंने यह भी बताया कि उचित सुरक्षा उपायों के बिना इस पहल को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा।

परियोजना पर काम कर रही एक निजी कंपनी ने राज्य सरकार के सहयोग से विभिन्न आकारों के जानवरों के लिए तीन आकारों में रिफ्लेक्टिव टेप तैयार किए हैं।

इस परियोजना ने पशुपालन विभाग और परिवहन विभाग के बीच सहयोग को भी बढ़ावा दिया है, जो भविष्य में दुर्घटनाओं की संभावित जगहों का मानचित्रण कर रहे हैं।

अतिरिक्त परिवहन आयुक्त पुष्पसेन सत्यार्थी ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य दुर्घटनाओं को रोककर और लोगों की जान बचाकर सड़कों को मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए सुरक्षित बनाना है।

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