नई दिल्लीः दिल्ली में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी इस महीने के आखिरी तक नई आबकारी नीति लाने की तैयारी में है। नई आबकारी नीति को लागू करने का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में शराब के वितरण और बिक्री के मौजूदा नियमों में सुधार करना है। दिल्ली सरकार ने इस नीति के बारे में कहा है कि यह शराब व्यापार को और पारदर्शी, आधुनिक और जवाबदेह बनाएगी।
इसको लेकर मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया है और संभावना है की यह समिति अपनी सिफारिशें 30 जून से पहले सरकार को सौंप देगी। सिफारिशें प्रस्तुत करने की अंतिम तारीख 30 जून तय की गई है।
2021 में आई थी शराब नीति
पिछली शराब नीति अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री काल में 2021 में लाई गई थी। यह शराब नीति शुरुआत में कथित भ्रष्टाचार और बड़े स्तर पर अनियमितताओं को लेकर विवादों में घिर गई और लागू होने के कुछ ही महीनों बाद इसे वापस ले लिया गया। मामला इतना बढ़ गया कि सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं की गिरफ्तारी हुई। वहीं, 2025 विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा महत्वपूर्ण बन गया। इसे आम आदमी पार्टी की हार का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
दिल्ली की भाजपा सरकार अन्य राज्यों से परामर्श करके एक मजबूत और पारदर्शी आबकारी ढांचा बनाने को प्राथमिकता दे रही है ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जा सके। संशोधित नीति के प्रमुख लक्ष्यों में राजस्व बढ़ाना, अवैध शराब व्यापार पर अंकुश लगाना, उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करना और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना शामिल है।
सीएम रेखा गुप्ता
दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया है कि सामाजिक सुरक्षा उनकी प्रमुख प्राथमिकता होगी और इसे इस प्रकार से तैयार किया जाएगा कि समाज के कमजोर वर्गों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
ऐसा कहा जा रहा है कि नई नीति में कुछ बदलाव प्रस्तावित हैं जिनमें शराब की गुणवत्ता की वैज्ञानिक आधार पर जांच, बिक्री व्यवस्था का डिजिटलीकरण, अवैध बिक्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई और लाइजनिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है।
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि समिति द्वारा मसौदा प्रस्तुत किए जाने के बाद, दिल्ली मंत्रिमंडल नीति की समीक्षा करेगा और उसे अंतिम रूप देगा, जिसका उद्देश्य जनता का विश्वास बहाल करना और राजधानी में आबकारी परिचालन को सुचारू बनाना है।