नई दिल्ली: देश भर में नए आपराधिक कानून (New Criminal Laws) 1 जुलाई 2024 से लागू हो गए हैं। ये कानून हैं- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। इन कानूनों ने भारतीय दंड संहिता-1860, सीआरपीसी-1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट-1872 की जगह ली है। नए कानून के तहत पहली एफआईआर भी दिल्ली में सोमवार तड़के दर्ज की गई।
नए क्रिमिनल लॉ के तहत दिल्ली में पहली FIR
नए कानून के तहत दिल्ली में पहली एफआईआर कमला मार्केट इलाके से जुड़ी हुई है। एक रेहड़ी वाले के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173 के तहत FIR हुई है। मामला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास का है। यहां फुटओवर ब्रिज पर अवरोध डालने और बिक्री करने के लिए बीएनएस की धारा 285 के तहत आरोप लगे हैं।
इस एफआईआर के अनुसार आरोपी फुटपाथ पर तंबाकू उत्पाद और पानी की बोतलें वगैरह बेच रहा था। उसके इस तरह ठेला लगाने से आने-जाने वालों को परेशानी हो रही थी। इस दौरान पेट्रोलिंग कर रहे पुलिस अधिकारियों ने रेहड़ी हटाने को कहा। हालांकि, उसने निर्देशों का पालन नहीं किया। इसके बाद यह एफआईआर दर्ज की गई है।
VIDEO | “FIRs have started being registered under the new laws. First case was registered today morning. We are ready for this,” says Delhi Police Commissioner Sanjay Arora on three new criminal laws that have come into effect in the country from today.
(Full video available on… pic.twitter.com/cchstkGzwK
— Press Trust of India (@PTI_News) July 1, 2024
नए क्रिमिनल लॉ के आने से क्या बदला है?
एक जुलाई से सभी एफआईआर और कार्रवाई बीएनएस के प्रावधानों के तहत दर्ज होगी। हालांकि, एक जुलाई से पहले के मामलों की सुनवाई और निपटारा पुराने कानून के तहत ही होगा।
नई भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं। इससे पूर्व आईपीसी में 511 धाराएं थी। नए कानून में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। साथ ही 41 अपराधों के लिए जेल की सजा में वृद्धि की गई है। इसके अलावा 82 अपराधों के लिए जुर्माने में भी बढ़ोतरी की गई है। 25 अपराधों के लिए कम सजा सहित छह अपराधों के लिए कम्यूनिटी सर्विस का भी प्रावधान किया गया है। 19 धाराओं को पूरी तरह से हटा दिया गया है।
नए कानून में कितनी धाराएं हैं?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की बात करें तो इसमें 531 धाराएं हैं। CRPC में 484 धाराएं थीं। यहां धाराओं की संख्या बढ़ी है। इसमें 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं। 9 धाराएं और 39 उप-धाराएं (सब-सेक्शन) जोड़ी गई हैं। इसके अलावा 14 धाराएं हटाई गई हैं। वहीं, 166 सेक्शन वाले इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह 170 धाराओं वाली भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लाया गया है। इसमें 24 धाराओं में बदलाव हैं। दो नए उप-धाराओं को जोड़ा गया है और पुराने छह धाराओं को हटाया गया है।
New criminal laws are citizen-centric. Now FIR can be registered from anywhere at any time.#AzadBharatKeApneKanoon pic.twitter.com/bHrXM5qhc1
— PIB India (@PIB_India) June 29, 2024
इसके अलावा कुछ और बड़े बदलाव की बात करें तो बीएनएस में नए अपराध भी जोड़े गए हैं। इसमें शादी का झूठा वादा करना (10 साल तक की जेल) शामिल है। इसके अलावा नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग के आधार पर ‘मॉब लिंचिंग’ (आजीवन कारावास या मृत्युदंड), स्नैचिंग (3 साल तक की जेल) सहित संगठित अपराधों और आतंकवाद को लेकर स्पष्ट ‘परिभाषा’ तय करना भी शामिल है।
क्रिमिनल लॉ: जीरो एफआईआर, 90 दिन की हिरासत
नई व्यवस्था में तकनीक को महत्व दिया गया है। जीरो एफआइआर (किसी भी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करा सकेंगे) अब कराना आसान होगा। ऑनलाइन पुलिस शिकायत, इलेक्ट्रानिक माध्यमों से समन भेजना सहित बेहद घृणित अपराधों में क्राइम सीन की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। सभी तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।
पुलिस के पास अब किसी मामले में FIR करने से पहले प्राथमिक जांच के लिए 14 दिन का समय होगा। इसके अलावा बीएनएसएस के तहत पुलिस को 90 दिनों की हिरासत मिल सकती है। पुराने कानून में यह अधिकतम 15 दिनों का होता था।
Under the leadership of Prime Minister @narendramodi provisions of e-FIR, Zero FIR and digital chargesheets using digital revolution incorporated in new criminal laws. Full computerization of proceedings from investigation to court.#AzadBharatKeApneKanoon… pic.twitter.com/Tklj0jgJIT
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 1, 2024
सात साल या इससे अधिक की सजा के प्रावधान वाले आपराधिक मामलों में फॉरेंसिक अनिवार्य होगा। किसी पीड़ित महिला की कोर्ट में सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट ही करेगी। यह संभव नहीं होता है तो भी व्यवस्था दी गई है। इसके तहत बेहद संवेदनशील मामले में किसी महिला की उपस्थिति में ही पुरुष मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज होगा।
इन प्रमुख धाराओं की पहचान बदली गई
कई धाराओं की संख्या को बदला गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है। पुराने भारतीय दंड संहिता में यह धारा 124 के तहत आता था। नए भारतीय न्याय संहिता में यह धारा 152 के तहत अब आएगा। इसके अलावा हत्या के लिए अब धारा 302 नहीं बल्कि धारा 101 लगेगी। हत्या के प्रयास के लिए पुराने कानून में धारा 307 लगाई जाती थी। नए कानून में इसे धारा 109 में लाया गया है। दुष्कर्म के लिए धारा 376 की जगह धारा 63 होगी। मानहानि के लिए धारा 399 की जगह धारा 356 होगी। वहीं ठगी के लिए धारा 420 की जगह अब धारा 316 लगाई जाएगी।
नए कानूनों का विरोध भी हो रहा है
पूरे देश में एक जुलाई से लागू हुए नए आपराधिक कानून का विरोध भी हो रहा है। विपक्षी पार्टियों ने खासकर आपत्ति जताई है। करीब एक हफ्ते पहले ममता बनर्जी ने इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी थी। बंगाल की सीएम ने नए कानूनों को अभी लागू नहीं करने की मांग की थी। तमिलनाडु के एमके स्टालिन ने भी ऐसा पत्र अमित शाह को लिखा था।
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कर्नाटक और तमिलनाडु ने कानूनों के नामों पर आपत्ति जताया था। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 348 का हवाला दिया। इसमें कहा गया है कि संसद में पेश किए जाने वाले कानून अंग्रेजी में होने चाहिए।
कर्नाटक ने नए कानून के कुछ अहम प्रावधानों पर भी चिंता जताई है। इसमें पुलिस को एफआईआर से पहले प्रारंभिक जांच के लिए 14 दिनों का समय देने जैसे प्रावधान शामिल हैं। साथ ही आईपीसी की धारा 377 को पूरी तरह से हटाने पर भी कर्नाटक को आपत्ति है। यह धारा किसी पुरुष के यौन उत्पीड़न के मामलों में भी लागू की जाती थी।