नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि नीट यूजी परीक्षा के फिजिक्स सेक्शन में एक विवादित सवाल का सिर्फ एक ही सही जवाब है। इस फैसले के बाद चार लाख से ज़्यादा उम्मीदवारों के कुल अंकों में से पांच-पांच नंबर काट लिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को आदेश दिया है कि वो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली की एक विशेषज्ञ टीम द्वारा सही बताए गए विकल्प को सही मानते हुए नतीजों में सुधार करे। इस फैसले से 720 में से 720 नंबर लाने वाले 61 में से 44 स्टूडेंट्स प्रभावित होंगे।
नीट परीक्षा में एक सवाल पर विवाद
5 मई को हुई नीट यूजी परीक्षा के नतीजे 4 जून को घोषित किए गए थे। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने शुरुआत में फिजिक्स सेक्शन के एक बहुविकल्पीय सवाल के दो विकल्पों को सही माना था। लेकिन, कई छात्रों ने पुरानी पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल कर परीक्षा की तैयारी की थी और इस आधार पर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद एनटीए ने फैसला बदला। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कई छात्रों की शिकायतों के बाद यह फैसला लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि IIT दिल्ली की एक्सपर्ट कमिटी ने बताया था कि दो विकल्पों में से एक ही सही है। बेंच ने कहा, “विकल्प 2 और 4 एक-दूसरे के विरोधी हैं और दोनों एक साथ नहीं हो सकते। हम IIT दिल्ली की रिपोर्ट को मानते हैं।”
सोमवार की सुनवाई में कुछ याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि पुराने नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सिलेबस के मुताबिक विकल्प दो सही था। लेकिन, नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के नए सिलेबस में विकल्प चार को सही बताया गया है।
याचिकाकर्ताओं में से एक ने कहा कि विकल्प दो का चयन करने वाले छात्रों को अंक देने का राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी का निर्णय उसके अपने निर्देश के विपरीत है, जिसके अनुसार राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के नवीनतम संस्करण का पालन किया जाना है।
दोबारा नीट परीक्षा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीट-यूजी की दोबारा परीक्षा कराने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रश्न पत्र के व्यापक लीक होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। इसलिए दोबारा परीक्षा नहीं होगी। दोबारा परीक्षा में काफी ज्यादा खर्चे होंगे।
बेंच ने कहा, “वर्तमान स्तर पर, रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा का परिणाम खराब हुआ है या परीक्षा की पवित्रता का व्यवस्थित उल्लंघन हुआ है।”
दोबारा परीक्षा के गंभीर परिणाम
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार कहा कि दोबारा परीक्षा कराने से 23 लाख से ज़्यादा छात्रों पर गंभीर असर पड़ेगा। इससे शैक्षणिक कार्यक्रम बाधित होगा और मेडिकल शिक्षा पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। 4 जून को इस साल की परीक्षा के नतीजे घोषित होने के बाद प्रश्न पत्र लीक होने और अन्य अनियमितताओं के आरोप सामने आए थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अब तक बिहार और झारखंड से पेपर लीक मामले में 21 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
याचिका दायर करने वाले छात्र नाखुश
उधर, कोर्ट के इस फैसले को लेकर याचिका दायर करने वाले छात्रों से लेकर अधिवक्ताओं तक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसी संबंध में एक छात्र रोशन ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि हम कोर्ट के इस फैसले से नाखुश हैं, लेकिन कोर्ट का फैसला है, जो कि कानून व्यवस्था का अभिन्न अंग है। ऐसी स्थिति में हम कोर्ट के फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं, जिस पर हम सवाल भी नहीं उठा सकते।”