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NEET-PG 2025 Exam: सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली NEET-PG 2025 परीक्षा को एकल पाली (single shift) में आयोजित करने का निर्देश दिया है। यह फैसला उस याचिका के बाद आया जिसमें दो शिफ्टों में परीक्षा कराने की नीति को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करना 'मनमानी' है और इससे समान प्रतिस्पर्धा नहीं हो पाती। यह परीक्षा 15 जून 2025 को आयोजित होगी और इसका परिणाम 15 जुलाई को घोषित किए जाने की संभावना है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दो प्रश्नपत्रों को एक समान कठिन या आसान नहीं कहा जा सकता। दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करना अभ्यर्थियों के लिए असमान मैदान तैयार करता है। अदालत ने यह भी कहा कि 'सामान्यीकरण' जैसी प्रक्रिया केवल असाधारण परिस्थितियों में अपनाई जा सकती है, न कि हर वर्ष एक नियमित अभ्यास के रूप में।
तकनीकी सुविधाओं की कमी पर कोर्ट ने क्या कहा?
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) ने यह तर्क दिया कि देशभर में पर्याप्त परीक्षा केंद्र नहीं हैं और तकनीकी अवसंरचना सीमित है। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि हम यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इतने बड़े देश में और आज की तकनीकी प्रगति को देखते हुए, परीक्षा को एक ही पाली में आयोजित करने के लिए पर्याप्त केंद्र नहीं खोजे जा सकते।
इस संदर्भ में न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) और परीक्षा बोर्ड यह सुनिश्चित करें कि परीक्षा एकल पाली में कराई जाए, पारदर्शिता पूर्ण रूप से बनी रहे और सुरक्षित परीक्षा केंद्रों की पहचान की जाए। यदि 15 जून तक आवश्यक व्यवस्था न हो पाए, तो परीक्षा एजेंसी समय विस्तार के लिए आवेदन कर सकती है। कोर्ट ने एनबीई को नया शेड्यूल जारी करने का आदेश भी दिया।
याचिका में क्या कहा गया था?
यह याचिका अदिति नामक अभ्यर्थी सहित अन्य उम्मीदवारों द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन व स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है। याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि नीट-पीजी 2024 में दो पालियों में आयोजित परीक्षा के प्रश्नों की कठिनाई और विषय-वस्तु में अंतर पाया गया था, जिससे परिणामों में असमानता आई। एक ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म के मूल्यांकन का हवाला देते हुए याचिका में यह भी कहा गया कि दूसरी पाली का प्रश्नपत्र तुलनात्मक रूप से आसान था, जिससे पहली पाली के परीक्षार्थियों को नुकसान हुआ। छात्रों ने प्रश्न पत्र और उत्तर कुंजी सार्वजनिक करने की भी मांग की थी।
याचिका पर पिछली (22 मई) सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को अपनी फीस डिटेल्स सार्वजनिक करने का निर्देश देते हुए परीक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करने को कहा था।
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि दो शिफ्टों वाली प्रणाली में 'मेधा' के स्थान पर 'किस्मत' को प्राथमिकता मिलती है। एनबीई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनींदर आचार्य ने कहा कि परीक्षा ऑनलाइन मोड में होती है, जिसमें सुरक्षा कारणों से सीमित केंद्र होते हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि अब परीक्षा पैटर्न बदला गया, तो परीक्षा स्थगित हो सकती है जिससे प्रवेश प्रक्रिया में देरी होगी।
इस पर न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अदालत को यह धमकी न दी जाए कि प्रवेश प्रक्रिया में देरी हो जाएगी। यदि एक भी विद्यार्थी को अन्याय का सामना करना पड़ रहा है, तो न्यायालय हस्तक्षेप करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश हजारों नीट-पीजी अभ्यर्थियों के लिए राहत लेकर आया है, जो वर्षों से परीक्षा में पारदर्शिता और समानता की मांग कर रहे थे। अब परीक्षा एजेंसियों के सामने चुनौती है कि वे 15 जून तक देशभर में पर्याप्त परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था कर परीक्षा को एक ही पाली में निष्पक्ष रूप से आयोजित करें।