NCERT की नई पॉलिटिकल साइंस की किताब चर्चा में क्यों है...क्या-क्या बदलाव हुए हैं?

NCERT की कक्षा 11 और 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। राजनीति विज्ञान की नई किताब में कुछ विषयों को लेकर बदलाव किए गए हैं। कुछ चीजों को हटाया गया है। इसमें बाबरी मस्जिद, राम मंदिर आंदोलन, गुजरात दंगे जैसे विषय शामिल हैं।

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Uproar over revisions to NCERT's political science textbooks

NCERT की पॉलिटिकल साइंस की किताबों में संशोधन पर हंगामा

दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की 11वीं और 12वीं की राजनीति विज्ञान (Political Science) की नई किताब को लेकर राजनीति तेज हो गई है। विपक्ष किताबों में हुए कुछ बदलाव को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। कांग्रेस महासचिव (कम्यूनिकेशन) जयराम रमेश ने सोमवार को एनसीईआरटी पर आरएसएस के 'सहयोगी' के रूप में काम करने और भारत के संविधान पर 'हमला' करने का आरोप लगाया। .

सोशल मीडिया एक्स पर एक बयान में रमेश ने कहा कि एनसीईआरटी को खुद को याद दिलाने की जरूरत है कि यह 'नागपुर या नरेंद्र शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद' नहीं है। उन्होंने कहा, 'नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने NEET 2024 में 'ग्रेस मार्क्स' की गड़बड़ी के लिए NCERT को दोषी ठहराया है। यह केवल NTA की अपनी घोर विफलताओं से ध्यान भटका रहा है। हालांकि यह सच है कि एनसीईआरटी अब एक पेशेवर संस्थान नहीं है। यह 2014 से आरएसएस सहयोगी के रूप में कार्य कर रहा है।'

NCERT की किताब में क्या बदलाव हुए हैं?

एनसीईआरटी की कक्षा 11 और 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। राजनीति विज्ञान की नई किताब में कई अध्यायों में पुराने टेक्स्ट को बदला गया है। इनमें अयोध्या, राम जन्मभूमि, गुजरात दंगे, हिंदुत्व की राजनीति जैसे संदर्भ और विषय शामिल हैं।

12वीं की किताब के चैप्टर-8 में अयोध्या मामले का जिक्र दो पन्नों में समेट दिया गया है। यह पहले चार पन्नों में था। साथ ही पूरी किताब में बाबरी मस्जिद नाम का जिक्र नहीं किया गया है। इसकी जगह तीन गुंबद वाला ढांचा लिखा गया है। इसके अलावा पिछले संस्करण के कई और विवरण को हटाया गया है।

इसमें गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भाजपा की रथ यात्रा भी शामिल है। कारसेवकों की भूमिका, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा, बीजेपी शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन और अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद जताने के भाजपा जैसी बातों को भी हटाया गया है। बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद हुई हिंसा सहित 2002 के गुजरात दंगों का जिक्र भी हटाया गया है।

इसके अलावा एक संशोधित अध्याय में कहा गया है कि भारत में राजनीतिक दल 'वोट बैंक की राजनीति' पर नजर रखते हुए 'अल्पसंख्यक समूह के हितों को प्राथमिकता देते हैं', जिससे 'अल्पसंख्यक तुष्टिकरण' होता है।

NCERT के डायरेक्टर ने क्या कहा?

इस बीच एनसीईआरटी के निदेशक डीपी सकलानी ने एनसीईआरटी की 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस वाले हिस्से को हटाए जाने को उचित ठहराया है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उन्होंने बताया कि एक विशेषज्ञ समिति ने महसूस किया कि 'केवल कुछ चुनिंदा घटनाओं का उल्लेख करना ठीक नहीं है।'

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम पॉजिटिव नागरिक बनाना चाहते हैं, हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति नहीं।' सकलानी ने यह भी बताया कि अयोध्या वाले सेक्शन में संशोधन विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले को समायोजित करने के लिए भी ये बदलाव किए गए।

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