नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जुड़ी संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कार्रवाई दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में की जा रही है। यह संपत्तियां कांग्रेस नियंत्रित एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ धन शोधन मामले की जांच में कुर्क की गई थीं।

ईडी के मुताबिक, इन संपत्तियों की कीमत 700 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इनमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस भी शामिल है, जो बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित है। ईडी के मुताबिक इन संपत्तियों पर कब्जा लेने के लिए नोटिस जारी किया है। जांच एजेसी ने कहा कि ये संपत्तियाँ एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के नाम पर हैं। इन्हें यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएल) ने अधिग्रहित किया था। यंग इंडियन में सोनिया और राहुल गांधी की सबसे ज्यादा (76 प्रतिशत) हिस्सेदारी है।

किस मामले में कार्रवाई हो रही है?

यह मामला वर्ष 2014 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दर्ज की गई आपराधिक शिकायत से शुरू हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस नेतृत्व ने महज 50 लाख रुपये की मामूली राशि में यंग इंडियन के जरिए एजेएल की अरबों की संपत्तियों का धोखाधड़ीपूर्ण अधिग्रहण किया।

एजेएल कभी नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करता था और इसकी देशभर में कई प्राइम लोकेशन पर संपत्तियाँ हैं - जिनमें दिल्ली का बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस और मुंबई में स्थित बहुमंजिला ऑफिस शामिल हैं।

ईडी के आरोप

ईडी के मुताबिक, जांच में यह सामने आया कि यंग इंडियन और एजेएल के माध्यम से कुल 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई। एजेंसी ने आरोप लगाया कि इन संपत्तियों का उपयोग आगे फर्जी दान (18 करोड़ रुपये), एडवांस किराया (38 करोड़ रुपये) और फर्जी विज्ञापन (29 करोड़ रुपये) के रूप में अपराध की आय को बढ़ाने के लिए किया गया।

एजेंसी ने 2023 में इन संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया था, जिनका मूल्य लगभग 661 करोड़ रुपये था, साथ ही एजेएल के 90.2 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर भी जब्त किए गए थे। यह अटैचमेंट 10 अप्रैल 2025 को न्यायिक प्राधिकरण द्वारा पुष्टि कर दी गई, जिसके बाद अब अंतिम कब्जे की प्रक्रिया शुरू की गई है।

हेराल्ड हाउस के किरायेदार को नोटिस

ईडी ने मुंबई स्थित हेराल्ड हाउस की तीन मंजिलों पर कब्जा जमाए हुए जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया है कि वे अब से सारा किराया सीधे ईडी के पास जमा करें, न कि एजेएल को।

यह जांच 2021 में ईडी द्वारा औपचारिक रूप से शुरू की गई थी, जिसे दिल्ली की एक अदालत और फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आगे बढ़ाने की अनुमति दी गई। जांच के दौरान कई स्थानों पर छापेमारी की गई और कई दस्तावेज जब्त किए गए, जिनसे कथित रूप से वित्तीय गड़बड़ियों की और परतें खुलीं।

ईडी का कहना है कि यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है कि “इन अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों का उपयोग, उपभोग और उनसे होने वाली अतिरिक्त कमाई को रोका जा सके।”