वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ नेशनल कांफ्रेंस भी जाएगी सुप्रीम कोर्ट, कहा- लड़ना बहुत महत्वपूर्ण

नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने कहा कि बीते तीन दिनों की विधानसभा कार्यवाही का उद्देश्य देश को यह संदेश देना था कि जम्मू-कश्मीर की सत्ताधारी गठबंधन वक्फ संशोधन कानून के पक्ष में नहीं है।

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Photograph: (IANS)

जम्मूः वक्फ संशोधन कानून 8 अप्रैल से पूरे देश में लागू हो गया है। लेकिन इस कानून को लेकर विवाद अभी भी जारी है। इस बीच नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) ने वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का ऐलान किया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और जडिबल से विधायक तनवीर सादिक ने बुधवार को कहा कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में एक चिंताजनक संवैधानिक हस्तक्षेप है।

सादिक ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के निर्देश पर नेशनल कांफ्रेंस जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर करेगी। अब यह कानूनी लड़ाई वहां लड़ी जाएगी। उन्होंने यह बयान जम्मू-कश्मीर विधानसभा के बाहर दिया। बजट सत्र के अंतिम तीन दिन वक्फ अधिनियम को लेकर बाधित रहे। बुधवार भी विधानसभा में काफी हंगामा हुआ।

सादिक ने आरोप लगाया कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (भेदभाव का निषेध), 21 (जीवन का अधिकार), 25 व 26 (धार्मिक स्वतंत्रता), 29 (संस्कृति की सुरक्षा) और 300A (मालिकाना अधिकार) का उल्लंघन करता है।

इस कानून से ठेस पहुंची हैः एनसी विधायक

उन्होंने कहा, “यह मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों, समानता और संपत्ति के अधिकार पर सीधा हमला है। हमारी लड़ाई हर उस मुस्लिम के लिए है, जिसे इस कानून से ठेस पहुंची है।”

उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायक और पूर्व न्यायाधीश मुजफ्फर इकबाल, जो एनसी-नीत सरकार का समर्थन कर रहे हैं, वकील से विधायक बने हिलाल अकबर लोन, अर्जुन सिंह और रियाज अहमद खान सहित अन्य वकीलों के साथ "जल्द से जल्द" सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे।

सादिक ने पार्टी सहयोगियों और पूर्व न्यायाधीश के साथ कहा, "सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का हमारा इरादा यह है कि इस बड़ी लड़ाई को वहां लड़ना बहुत महत्वपूर्ण है। हम इस नए कानून से आहत हर मुसलमान के साथ खड़े हैं और हम उनका प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं।"

लोकसभा और राज्यसभा में देर रात तक चली थी बहस

वक्फ (संशोधन) विधेयक को हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा में पारित किया गया था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इसे मंजूरी दे दी। 8 अप्रैल को केंद्र ने अधिसूचना जारी की जिसके बाद यह उसी दिन से पूरे देश में लागू हो गया है। इस बिल को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में देर रात तक चली बहस चली थी। वक्फ बिल को लेकर हुई वोटिंग में राज्यसभा में 128 सदस्यों ने वक्फ विधेयक के पक्ष में और 95 सदस्यों ने विरोध में वोट दिया। वहीं, लोकसभा में 288 सदस्यों ने वक्फ बिल को समर्थन दिया जबकि 232 ने विरोध में मतदान किया।

किन लोगों ने वक्फ कानून के खिलाफ दाखिल की याचिकाएं?

अब तक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत 10 से अधिक याचिकाएं इस कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं।  याचिका दाखिल करने वालों में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और इमरान प्रतापगढ़ी, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, आरजेडी सांसद मनोज झा और फैज अहमद, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, डीएमके, AIMPLB, जमीयत उलमा-ए-हिंद आदि शामिल हैं। एक गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स' ने भी याचिका दायर की है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस वक्फ कानून के पक्ष में नहींः सादिक

सादिक ने कहा कि बीते तीन दिनों की विधानसभा कार्यवाही का उद्देश्य देश को यह संदेश देना था कि जम्मू-कश्मीर की सत्ताधारी गठबंधन वक्फ संशोधन कानून के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर 300 से अधिक सांसदों ने इस कानून के खिलाफ मतदान किया है, तो यह साफ संकेत है कि देश में इस कानून को लेकर गहरा मतभेद है।”

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि शोर-शराबे के बीच कई महत्वपूर्ण निजी विधेयक और प्रस्ताव, जिनमें तीन राज्य का दर्जा बहाल करने से संबंधित प्रस्ताव भी शामिल थे, अधूरी चर्चा के चलते रद्द हो गए। उन्होंने भाजपा, पीडीपी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पर सदन में व्यवधान पैदा कर ऐसे प्रस्तावों को दबाने का आरोप लगाया।

सादिक ने कहा, “हम अगली विधानसभा सत्र में इन प्रस्तावों को फिर से लाएंगे और हर मंच पर राज्य का दर्जा बहाल करने की लड़ाई लड़ते रहेंगे।”

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