स्टोर रूम में कैश देखने वाले 10 गवाहों के नाम आए सामने, जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में खुलासा

यह मामला मार्च 2025 में तब सामने आया, जब दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई। आग बुझाने पहुंचे दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस अधिकारियों ने वहां पर भारी मात्रा में नकदी देखी, जिनमें से कई नोट आधे जले हुए थे।

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नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर लगी आग के बाद स्टोर रूम में मिले लाखों रुपये के जले-अधजले नोटों की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की समिति ने पहली बार उस रहस्य से पर्दा उठाया है। दरअसल, मामले में 10 ऐसे चश्मदीदों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने खुद अपनी आंखों से भारी मात्रा में नकदी देखी थी। ये सभी या तो दिल्ली फायर सर्विस (DFS) या दिल्ली पुलिस से जुड़े अधिकारी हैं। समिति ने जस्टिस वर्मा के आचरण को अस्वाभाविक और संदेहास्पद करार दिया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।

कौन है ये गवाह?

वे गवाह हैं, अंकित सहवाग (अग्निशमन अधिकारी, डीएफएस), प्रदीप कुमार (अग्निशमन अधिकारी, डीएफएस), मनोज महलावत (स्टेशन अधिकारी, डीएफएस), भंवर सिंह (ड्राइवर, डीएफएस), प्रवींद्र मलिक (अग्निशमन अधिकारी, डीएफएस), सुमन कुमार (सहायक मंडल अधिकारी, डीएफएस), राजेश कुमार (तुगलक रोड पुलिस स्टेशन से), सुनील कुमार (प्रभारी, आईसीपीसीआर), रूप चंद (हेड कांस्टेबल), और उमेश मलिक (एसएचओ, तुगलक रोड पुलिस स्टेशन)।

क्या है मामला?

बता दें कि यह मामला मार्च 2025 में तब सामने आया, जब दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई। आग बुझाने पहुंचे दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस अधिकारियों ने वहां पर भारी मात्रा में नकदी देखी, जिनमें से कई नोट आधे जले हुए थे। कुछ चश्मदीदों ने बताया कि नकदी का ढेर लगभग 1।5 फीट ऊंचा था और 500 रुपये के नोट चारों ओर बिखरे हुए थे। जांच समिति ने पाया कि उस कमरे तक केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोगों की ही पहुंच थी। बाद में वह कमरा साफ कर दिया गया और वहां से सभी नोट ‘गायब’ हो गए।

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