Murshidabad violence: पिता-पुत्र की हत्या मामले में SIT ने 983 पेज की चार्जशीट दाखिल की, 13 को बनाया आरोपी

Murshidabad violence: यह हिंसा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विरोध में फैले तनाव के बीच 11 अप्रैल को हुई थी, जिसमें हरगोबिंद दास (74) और उनके पुत्र चंदन दास (40) की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

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Photograph: (IANS)

Murshidabad violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के जाफराबाद गांव में अप्रैल में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान हुए पिता-पुत्र दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने 13 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह हिंसा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विरोध में फैले तनाव के बीच 11 अप्रैल को हुई थी, जिसमें हरगोबिंद दास (74) और उनके पुत्र चंदन दास (40) की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने शुक्रवार को 983 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट जिला अदालत में दाखिल की, जिसमें कहा गया है कि दोनों की हत्या एक योजनाबद्ध और सामूहिक हमले के तहत की गई।

घर में घुसकर कुल्हाड़ी से हत्या

पुलिस के अनुसार, जाफराबाद के बेटबोना गांव में हमलावरों ने दास परिवार के घर का दरवाजा तोड़कर दोनों को बाहर खींचा और पीठ पर कुल्हाड़ी से हमला कर मौत के घाट उतार दिया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि एक व्यक्ति मौके पर तब तक पहरा देता रहा जब तक दोनों की मौत नहीं हो गई।

एसआईटी प्रमुख और मुर्शिदाबाद के डीआईजी सैयद वकार रजा के मुताबिक, “आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और शस्त्र अधिनियम की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।”

जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया है, उनमें धारा 103(2)/3(5 (हत्या), धारा 191 (दंगा भड़काना), धारा 332/331 (जबरन प्रवेश और घर तोड़ना), धारा 310(2) (डकैती), धारा 334 (संपत्ति को नुकसान पहुंचाना), शस्त्र अधिनियम की धारा 25/27 (अवैध हथियार रखना और इस्तेमाल करना) शामिल हैं।

300 से अधिक गिरफ्तारियां, 60 से अधिक FIR दर्ज

इस सांप्रदायिक हिंसा के बाद पुलिस ने अब तक 300 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और जिले के विभिन्न थानों में 60 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई हैं। चार्जशीट में 50 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें स्थानीय निवासी और हमलों से बचे लोग शामिल हैं।

कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा गठित तथ्यान्वेषण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला पूर्वनियोजित था और इसे अंजाम देने में स्थानीय सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नगराध्यक्ष मेहबूब आलम की संलिप्तता का जिक्र भी किया गया है। रिपोर्ट में राज्य पुलिस की "निष्क्रियता और अनुपस्थिति" को उजागर किया गया है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि हिंसा के दौरान बार-बार कॉल करने के बावजूद पुलिस मौके पर नहीं पहुंची।

बेटबोना गांव में 113 घरों को नुकसान

तथ्यान्वेषण समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि बेटबोना गांव में 113 घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए और कई को आग के हवाले कर दिया गया। कई जगह जल की आपूर्ति भी काट दी गई ताकि आग बुझाई न जा सके।

8 से 12 अप्रैल तक चली इस हिंसा के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया ताकि कानून-व्यवस्था बहाल की जा सके। चार्जशीट दाखिल होने के साथ ही अब मामले में कानूनी कार्रवाई का पहला चरण पूरा हो गया है।

गांव छोड़ चुके कई परिवार

11 अप्रैल की घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया था। दास परिवार के पड़ोसी और ग्रामीण आज भी दहशत में हैं। कई परिवार गांव छोड़कर अब तक लौटे नहीं हैं। नागरिक संगठनों और विपक्षी नेताओं ने समयबद्ध मुकदमे और गवाहों की सुरक्षा की मांग की है।

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