मुर्शिदाबादः पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन विरोधी प्रदर्शनों के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। हिंसा में मारे गए एक पिता-पुत्र की हत्या के बाद जहां राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने उनके परिजनों से मिलकर संवेदना जताई, वहीं धुलियान की महिलाएं केंद्र सरकार से स्थायी बीएसएफ शिविर की मांग कर रही हैं ताकि भविष्य में उन्हें सुरक्षा का भरोसा मिल सके।

शनिवार को राज्यपाल बोस ने शमशेरगंज के जाफराबाद इलाके में उन दो लोगों- हरगोबिंदो दास और चंदन दास के परिजनों से मुलाकात की, जिनकी हत्या उनके ही घर में चाकूओं से गोदकर कर दी गई थी। राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल ने परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। मृतकों के परिजनों ने हत्या की सीबीआई जांच की मांग की है।

राज्यपाल इसके बाद जिले के अन्य हिंसा प्रभावित क्षेत्रों- धुलियान, सुईटी और जंगीपुर- का भी दौरा किया और हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने मीडिया से बात की। राज्यपाल ने कहा, पीड़ितों ने अपनी सुरक्षा की भावना जताई है और कुछ अन्य मांगें या सुझाव भी दिए हैं। मैं इन सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करूंगा।

आनंद बोस ने आगे कहा कि इसे भारत सरकार और राज्य सरकार के समक्ष उचित कार्रवाई के लिए रखूंगा और स्वयं इस पर नजर रखूंगा। मैंने उन्हें यह भी कहा कि वे मुझसे सीधे संवाद कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें मेरा सीधा फोन नंबर भी दिया गया है। हम लगातार संपर्क में रहेंगे। निश्चित रूप से प्रभावी और सक्रिय कदम उठाए जाएंगे। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने (पीड़ितों ने) न्याय और शांति की मांग की है। उन्हें न्याय मिलेगा और शांति भी मिलेगी।

गौरतलब है कि इससे पहले उन्होंने फरक्का में कुछ अन्य पीड़ित परिवारों से एक गेस्ट हाउस में मुलाकात की थी। राज्यपाल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील के बावजूद मालदा का दौरा किया था और हिंसा से विस्थापित लोगों से मुलाकात कर उन्हें सक्रिय कार्रवाई का भरोसा दिलाया था।

मुर्शिदाबाद में NCW अध्यक्ष के सामने रो पड़ीं महिलाएं

शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने धुलियान का दौरा किया और हिंसा प्रभावित परिवारों, विशेषकर महिलाओं से मुलाकात की। इस दौरान कई महिलाएं अपने आंसू नहीं रोक सकीं और स्थायी बीएसएफ शिविरों की तैनाती के लिए भावुक अपील की।

एक महिला ने प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य के पैरों पर गिरकर कहा, "हम स्थायी बीएसएफ शिविरों के बिना जिंदा नहीं रह सकते। जरूरत पड़ी तो अपनी जमीन और घर देने को भी तैयार हैं।"

महिला आयोग की टीम ने आश्वासन दिया कि उनकी चिंताओं को केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंचाया जाएगा और इस मुद्दे पर केंद्र से रिपोर्ट साझा की जाएगी। आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने पहले ही मुर्शिदाबाद में महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्थायी सीएपीएफ शिविरों की मांग को प्राथमिकता देने की बात कही थी।

250 घर, 100 से अधिक दुकानें क्षतिग्रस्त, 274 से अधिक गिरफ्तार

इस बीच, जिला प्रशासन ने हिंसा के दौरान हुई क्षति का एक प्रारंभिक आकलन जारी किया है। अधिकारियों के मुताबिक, कम से कम 250 घरों और 100 से अधिक दुकानों को नुकसान पहुंचा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह आंकड़े प्रारंभिक हैं और विस्तृत मूल्यांकन के बाद इनकी संख्या बढ़ सकती है।

8 से 12 अप्रैल के बीच फैली इस सांप्रदायिक हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और 274 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं। प्रशासन अब हालात को सामान्य करने के लिए सतर्कता और संवाद दोनों का सहारा ले रहा है।