मुंबईः मुंबई में मानसून ने इस साल तय समय से करीब दो सप्ताह पहले दस्तक दी है, जिससे जहां एक ओर भीषण गर्मी से राहत मिली है, वहीं भारी बारिश ने महानगर के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, यह बीते 25 वर्षों में सबसे पहले पहुंचने वाला मानसून है। हालांकि मंगलवार सुबह थोड़ी राहत देखने को मिली।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के अनुसार, 24 घंटे में द्वीप नगर (आइलैंड सिटी) में औसतन 106 मिमी बारिश दर्ज की गई। हालांकि, लोकल ट्रेन सेवाएं मामूली देरी के साथ चालू रहीं, जबकि बेस्ट बसें और मेट्रो सेवाएं सामान्य रूप से चलती रहीं। बीएमसी के मुताबिक, नरीमन पॉइंट में सबसे अधिक 252 मिमी, बीएमसी मुख्यालय में 216 मिमी, और कोलाबा पंपिंग स्टेशन पर 207 मिमी बारिश दर्ज की गई।

पेड़ों के गिरने से बिजली आपूर्ति और लोकल ट्रेन सेवाएं बाधित रहीं

सोमवार को भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने मुंबई में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन की घोषणा कर दी थी, जो सामान्यत: जून में आता है। पहले ही दिन मुंबई के कई हिस्सों में तेज बारिश के साथ वज्रपात और तेज हवाओं ने दस्तक दी। बारिश के कारण दक्षिण मुंबई के कई हिस्सों में जलजमाव, पेड़ों के गिरने और बिजली आपूर्ति बाधित होने से लोकल ट्रेन सेवाएं कुछ समय के लिए रुकी रहीं।

वर्ली नाका स्थित हाल ही में शुरू किया गया आचार्य अत्रे चौक मेट्रो स्टेशन में पानी भर जाने के कारण उसे अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा। पेडर रोड और नेपियन सी रोड जैसे उच्चवर्गीय इलाके, जो आमतौर पर जलजमाव से बचे रहते हैं, इस बार पानी में डूबे नजर आए।

बीएमसी के अनुसार, मंगलवार दोपहर 12:13 बजे 4.88 मीटर और रात 11:56 बजे 4.18 मीटर की ऊंची ज्वार आने की संभावना है। आईएमडी ने अगले 24 घंटे में मौसम में फिर से भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है, साथ ही आकाशीय बिजली और तेज हवाओं की चेतावनी भी दी गई है। आईएमडी की चेतावनी के बाद प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे आवश्यक न हो तो घर से बाहर न निकलें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। 

14 साल में सबसे जल्दी आया मानसून

मौसम विभाग की क्षेत्रीय प्रमुख शुभांगी भुते के अनुसार, महाराष्ट्र में मानसून का यह 14 वर्षों में सबसे शुरुआती आगमन है। आमतौर पर मुंबई में मानसून 11 जून के आसपास पहुंचता है, लेकिन इस बार यह 16 दिन पहले यानी 27 मई को ही सक्रिय हो गया।

मानसून दक्षिण एशिया के लिए जीवनरेखा माना जाता है। भारत में 70-80% वार्षिक वर्षा जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून से ही होती है। यह समुद्र से उठने वाली एक विशाल हवाओं की प्रणाली है, जो भारतीय उपमहाद्वीप की भूमि के तपने से सक्रिय होती है और भारी वर्षा लाती है।

हालांकि यह वर्षा कृषि और करोड़ों किसानों की जीविका के लिए बेहद जरूरी होती है, लेकिन यही मानसून हर साल शहरी इलाकों में बाढ़, भूस्खलन और यातायात संकट का कारण भी बनता है।

दक्षिण एशिया में बीते कुछ वर्षों से तापमान में वृद्धि और मौसमी बदलाव देखे जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन का मानसून प्रणाली पर असर जरूर पड़ रहा है, लेकिन यह कब, कितना और कैसे इस पर अब भी शोध और आकलन जारी है।