मुंबईः सरकारी शिक्षक पोर्टल में 3,000 करोड़ का घोटाला, 30 लाख में बनाते थे शिक्षकों की फर्जी आईडी

महाराष्ट्र के सरकारी शिक्षक पोर्टल में बड़ा घोटाला सामने आया है। आरोप है कि 20-30 लाख रुपये लेकर फर्जी शालार्थ आईडी बनाई गई। सीएम फड़नवनीस ने जांच के लिए एसआईटी का ऐलान किया है।

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सीएम फड़नवीस ने जांच के लिए एसआईटी के गठन की घोषणा की। Photograph: (ग्रोक)

मुंबईः महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ फर्जीवाड़े का आरोप लगा है। इन अधिकारियों पर सरकार द्वारा संचालित भुगतान पोर्टल का दुरुपयोग करके फर्जी शिक्षकों की आईडी बनाने और धन की हेराफेरी करने का आरोप है। 

इन्होंने अयोग्य व्यक्तियों के शालार्थ पहचान पत्र बनाए। इन्हें कथित तौर पर स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को 20 से 30 लाख रुपये की रिश्वत देकर नियुक्त किया गया था। 

शिक्षकों को यह पहचान पत्र भर्ती के समय दिए जाते हैं जो वेतन और अन्य लाभों के लिए जरूरी होते हैं। मुंबई और  नागपुर जोन के शिक्षा उपनिदेशकों ने कथित तौर पर मिलकर हजारों फर्जी पहचान पत्र बनाए। सरकार का अनुमान है कि यह घोटाला करीब 2,000-3,000 करोड़ रुपये का है। इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां पहले हो चुकी हैं। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने पूर्व शिक्षा उपनिदेशक राम पवार के हवाले से लिखा "जब कोई पद रिक्त होता है और स्कूल उम्मीदवार का चयन कर लेता है तो स्कूल नियुक्ति आदेश जारी करता है। इसके बाद उम्मीदवार इस नियुक्ति आदेश को उस क्षेत्र के शिक्षा उपनिदेशक के पास ले जाता है, जो इसे अनुमोदित करते हैं और उम्मीदवार को शालार्थ आईडी और पासवर्ड प्रदान करते हैं। इस आईडी का उपयोग वेतन और लाभों तक पहुंचने में किया जाता है- इसके बिना उम्मीदवार को भुगतान नहीं किया जा सकता है। "

शालार्थ पोर्टल में सभी शिक्षा कर्मचारियों की वित्तीय जानकारी और कार्मिक रिकॉर्ड भी मौजूद होते हैं। 

क्या है पूरा घोटाला? 

राम पवार के मुताबिक, शालार्थ आईडी जारी करने का अधिकार शिक्षा उपनिदेशक के पास है। कार्यालय के अधिकारियों ने फर्जी पहचान पत्र बनाए और इनके लिए वेतन निकाला। जिन लोगों के लिए वेतन निकाला गया, उनके खाते फर्जी पहचान पत्रों और फर्जी तस्वीरों का इस्तेमाल करके खोले गए। अधिकारियों पर शालार्थ पहचान पत्र जारी करने और रिश्वत लेकर शिक्षकों और प्रधानाध्यपकों के पदों पर अयोग्य लोगों की नियुक्ति का भी आरोप लगा है। 

वैसे तो सरकारी स्कूलों में धांधली के बहुत कम मौके होते हैं क्योंकि प्रशासन के पास रोजगार रिकॉर्ड की जांच होती है और कर्मचारियों को नियमों का पालन करना होता है। हालांकि, सहायता प्राप्त स्कूलों के रिकॉर्ड पर सरकारी निगरानी सीमित होती है। इससे पोर्टल चलाने वालों को अयोग्य व्यक्तियों की नियुक्ति करने, फर्जी पद बनाने और उनके नाम पर वेतन निकालने की छूट मिल जाती है। 

2-3 हजार करोड़ का हो सकता है घोटालाः फड़नवीस

महाराष्ट्र के कई जिलों में पोर्टल के दुरुपयोग की खबरें आई हैं। नागपुर में अयोग्य शिक्षकों, प्रधानाध्यपकों और कर्मचारियों पर फर्जी शालार्थ आईडी रखने का आरोप है। ये आईडी स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को रिश्वत देखर हासिल की गईं थीं। 

इस मामले में नागपुर के शिक्षा उपनिदेशक उल्हास नारद को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, कई अन्य मामलों में शिक्षकों और अन्य स्कूल कर्मचारियों ने लूट के हिस्से के लिए सरकारी अधिकारियों को फर्जी आईडी और बैंक खाते बनाने में मदद की। 

सरकारी कर्मचारियों ने योग्य शिक्षकों की पदोन्नति के बाद पिछली तारीख से देय राशि और वेतन वृद्धि देने के लिए रिश्वत की मांग भी की थी। 

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने 18 जुलाई को विधानसभा में कहा कि शालार्थ आईडी घोटाला 2,000-3,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। घोटाले की जांच के लिए उन्होंने विशेष जांच दल (SIT) के गठन की घोषणा की। वहीं, राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मुंबई के उपनिदेशक संदीप सांगवे को निलंबित कर दिया है। 

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