जबलपुरः UPSC में EWS को उम्र और प्रयासों में छूट देने से हाई कोर्ट का इनकार, याचिकाएं खारिज

मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा कि न्यायपालिका का कार्य केवल यह देखना है कि क्या कोई नीति मौलिक अधिकारों या संविधान का उल्लंघन कर रही है।

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फोटोः IANS

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यूपीएससी (UPSC) परीक्षाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अभ्यर्थियों को उम्र सीमा और अतिरिक्त प्रयासों (9 अटेम्प्ट) में छूट देने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि वर्तमान नीति ढांचे के अंतर्गत एसी, एसटी और ओबीसी को मिलने वाली छूट ईडब्ल्यूएस वर्ग पर लागू नहीं होती।

मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा कि न्यायपालिका का कार्य केवल यह देखना है कि क्या कोई नीति मौलिक अधिकारों या संविधान का उल्लंघन कर रही है। पीठ ने कहा, “कोई भी नीति जब तक स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण न हो, तब तक अदालतें उसमें बदलाव का आदेश नहीं दे सकतीं।” 

राज्य सूची के OBC को भी प्रयासों में छूट से इनकार

याचिकाकर्ताओं ने उन जातियों और समुदायों को यूपीएससी परीक्षा में प्रयासों की संख्या में छूट देने की मांग की थी, जो राज्य सूची में ओबीसी के अंतर्गत आती हैं लेकिन केंद्रीय सूची में शामिल नहीं हैं। अदालत ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया।

मध्य प्रदेश के मैहर निवासी आदित्य नारायण पांडे और अन्य ने ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE-2024 और CSE-2025) में छूट देने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा 25 मई 2025 को आयोजित की जाएगी जिसमें 979 पदों पर भर्ती होनी है।

EWS को भी समान छूट मिलनी चाहिए - कपिल सिब्बल

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि ईडब्ल्यूएस  वर्ग को 103वें संविधान संशोधन के तहत एक अलग श्रेणी माना गया है। उन्होंने तर्क दिया कि जब एसी, एसटी और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को उम्र और प्रयासों में छूट मिलती है, तो ईडब्ल्यूएस  वर्ग, जो समान सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना करता है, को इससे वंचित क्यों रखा गया है।

केंद्र का जवाब- स्वचालित छूट संभव नहीं

भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एसी, एसटी और ओबीसी को संविधान के तहत प्राप्त आरक्षण प्रावधान ईडब्ल्यूएस से अलग हैं। उन्होंने कहा, “हर वर्ग विशिष्ट है और एक को दी गई छूट स्वतः दूसरे पर लागू नहीं की जा सकती।”

सरकार ने दलील दी कि 103वें संविधान संशोधन के तहत ईडब्ल्यूएस के लिए आयु या प्रयासों में छूट का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है और ईडब्ल्यूएस आरक्षण केवल उन लोगों के लिए है जो एसी/एसटी/ओबीसी के तहत नहीं आते और जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों ने ईडब्ल्यूएस वर्ग को कोई छूट नहीं दी है।

नीति निर्धारण में हस्तक्षेप नहीं कर सकती अदालत

अदालत ने कहा कि संवैधानिक अदालतें नीति निर्धारण में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं, जब तक कि स्पष्ट रूप से भेदभाव साबित न हो। अदालत ने अपने फैसले में कहा, “जब तक नीति में स्पष्ट असमानता या भेदभाव न हो, तब तक सरकार को छूट देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।” 

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