Chhindwara Lok Sabha seat: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में छह संसदीय क्षेत्र में 19 अप्रैल को मतदान होने वाला है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सीट छिंदवाड़ा है, जिस पर सब की नजर है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रखा है।
कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ दूसरी बार चुनाव मैदान में
राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं। यहां चार चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 19 अप्रैल को छह सीटों पर मतदान होना है, जिनमें सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा शामिल है। इनमें शहडोल और मंडला अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। पहले चरण के चुनाव में छिंदवाड़ा सीट पर सबकी नजर है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। नकुल नाथ पिछला चुनाव 40 हजार से भी कम वोट के अंतर से जीते थे।
क्या भाजपा इस बार कमलनाथ के इस गढ़ में सेंध लगा पाएगी?
छिंदवाड़ा को कमल नाथ परिवार का गढ़ माना जाता है। भाजपा ने यहां से विवेक बंटी साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि 1980 के बाद हुए लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक बार ही इस परिवार के प्रतिनिधि को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा बीते चार साल से कमलनाथ के इस गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रही है और यही कारण है कि कांग्रेस के कई नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं जिनमें पूर्व विधायक से लेकर कमल नाथ के सबसे करीबियों में से एक दीपक सक्सेना भी शामिल हैं।
छिंदवाड़ा में भाजपा ने लगाया एड़ी चोटी को जोर
भाजपा ने इस चुनाव में छिंदवाड़ा में स्थानीय और बाहरी को मुद्दा बनाने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तो यहां तक कहा कि छिंदवाड़ा का सांसद स्थानीय व्यक्ति को क्यों नहीं बनना चाहिए। कमल नाथ तो इस क्षेत्र के लिए समस्या बन चुके हैं।
वहीं दूसरी ओर कमलनाथ अपने 45 साल के रिश्ते को याद दिलाते हुए भावनात्मक अपील करने में लगे हैं। महाकौशल क्लस्टर की जिम्मेदारी भाजपा ने राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी है और वे यहां पर भाजपा उम्मीदवार विवेक बंटी साहू की जीत के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। उनका अधिकांश समय भी छिंदवाड़ा संसदीय सीट में ही गुजर रहा है।
रोचक होने वाला है छिंदवाड़ा का चुनाव
राजनीति के जानकारों का कहना है कि छिंदवाड़ा का चुनाव बड़ा रोचक है और जीत तथा हार किसी के भी हिस्से में आ सकती है। यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें जीत के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगाया है और कमल नाथ के गढ़ को ढहाने की कोशिश की है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं के भाजपा में शामिल होने से कमलनाथ को मतदाताओं की संवेदना (सिंपैथी) भी मिल रही है। यहां मुकाबला बराबरी का है।