त्रिपुरा में भारी संख्या में छात्र AIDS से प्रभावित, पिछले 6 महीने में सामने आए 800 मामले, 2015-16 में थे केवल 11 केस

साल 2015 और 2016 में एचआईवी संक्रमण के मामले केवल 11 थे लेकिन 2002 में यह आंकड़े 757 हो गए।

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Most of the school-college students of Tripura are affected by AIDS 800 cases reported in just 6 months in 2024 only 11 cases in 2015-16

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

अगरतला: त्रिपुरा से एक हैरान करने देने वाला मामला सामने आया है जहां पर राज्य में भारी संख्या में छात्रों के एचआईवी से संक्रमित होने की खबर सामने आई है। आमतौर पर लोग एचआईवी से तब संक्रमित होते हैं जब वे असुरक्षित सेक्स करते हैं, लेकिन त्रिपुरा में उल्टा हुआ है।

यहां पर एचआईवी से संक्रमित होने वाले अधिकतर छात्र नशीली इंजेक्शन को लेने से प्रभावित हुए हैं। राज्य में 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों तक एचआईवी पहुंच गया है जिसमें कम से कम 828 छात्र इससे संक्रमित हो गए हैं और करीब 47 छात्रों की मौत हो गई है।

हर रोज आ रहे हैं पांस से सात केस

त्रिपुरा के 164 स्वास्थ्य सुविधाओं से जमा किए गए आकंड़ों के आधार पर त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (टीएसएसीएस) के अधिकारियों ने कहा है कि हर रोज पांच से सात ऐसे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

14 से 20 साल के छात्र ज्यादा प्रभावित

त्रिपुरा में नशीली इंजेक्शन के कारण एचआईवी से संक्रमित होने वाले छात्रों की संख्या उन परिवारों में ज्यादा देखी गई है जिस फैमिली की आय बहुत अधिक है। राज्य में एचआईवी से प्रभावित होने वाले छात्रों के अधिकतर माता पिता सरकारी नौकरी करते हैं जिस कारण उन्हें नशीली इंजेक्शन खरीदने में पैसे की कमी नहीं होती है।

ऐसे में इन परिवारों से जुड़े संक्रमित छात्र एचआईवी और उसकी टेस्टिंग को गंभीरता से नहीं लेते हैं जिस कारण इसकी समय पर पहचान भी नहीं हो पाती है।

काफी लंबे समय से यह राज्य ड्रग्स या नशीली दवाओं की समस्या से जूझ रहा है और अब यह एचआईवी संक्रमण की समस्या से परेशान है। नवंबर 2023 तक त्रिपुरा में 5,200 से अधिक सक्रिय एचआईवी या एड्स के मामले सामने आए थे। यह केस 14 से 20 साल के छात्रों में ज्यादा पाई गई है।

क्या कहते हैं आकंड़े

पिछले नौ दस सालों की अगर बात करें तो राज्य में एचआईवी संक्रमण के मामले कम थे। लेकिन पिछले कुछ सालों संक्रमण में तेजी से उछाल देखा गया है। साल 2015 और 2016 में एचआईवी संक्रमण के मामले केवल 11 थे लेकिन 2002 में यह आंकड़े 757 हो गए थे।

इन आंकड़ों में कमी नहीं हो रही है बल्कि इसी साल केवल छह महीने में ही अब तक 800 केस सामने आ चुके हैं। राज्य में एचआईवी संक्रमण के मामले में बढ़ोतरी के पीछे बढ़ी हुई निगरानी, ​​जागरूकता और बेहतर स्क्रीनिंग रिपोर्ट को मानी जा रही है।

एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं

इस तरह से राज्य में बढ़ रहे एचआईवी को लेकर एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है। उनका मानना है कि प्रभावित छात्रों की अच्छी से काउंसिलिंग और बड़े पैमाने पर टेस्टिंग कराने की आवश्यकता है। हालांकि प्रभावित छात्रों की काउंसिलिंग और टेस्टिंग भी आसान नहीं है क्योंकि टेस्ट करने से पहले छात्रों की इजाजत लेना सरकार के लिए यह भी एक चुनौती है।

क्या कर रही है त्रिपुरा सरकार

राज्य में बढ़ रहे एचआईवी के संक्रमण पर त्रिपुरा सरकार भी सख्ती कर रही है। सरकार कुछ खास केस में एचआईवी की टेस्टिंग को अनिवार्य करने को लेकर कानून में संशोधन करने पर भी विचार कर रही है।

यही नहीं सरकार एचआईवी या फिर एड्स से निपटने के लिए मौजूदा रणनीतियों को मजबूत करने पर भी अपनी ध्यान केंद्रित कर रही है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने अवैध नशीली दवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए म्यांमार जैसे विदेशी देशों को दोषी ठहराया है और नशीली दवाओं के तस्करों पर नकेल कसने की भी बात कही है।

एचआईवी या फिर एड्स से निपटने के लिए सरकार सख्त नियम लाने, लोगों के बीच इसकी जागरूकता बढ़ाने और संक्रमित लोगों का सही से इलाज कराने पर जोर दे रही है।

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